अफगान बिसात पर तालिबानी परचम ने बढ़ा दी है आतंकी हमलों पर भारत की चिंताएं

नई दिल्ली: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में लहराते तालिबानी परचम ने भारत की पेशानी पर आतंकी हमलों को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं. अफगानिस्तान का घटनाक्रम दूसरे विश्वयुद्ध के बाद का पहला ऐसा मामला है जिसने एक कट्टरपंथी इस्लामिक जेहादी संगठन के हाथ में मुल्क दे दिया है. साथ ही पाकिस्तान का मजबूत प्रभाव भी अफगानिस्तान की बिसात पर भारत की मुश्किलों को और पेचीदा बनाता है. 


सूत्रों के मुताबिक बीते 6 महीनों में यह रिपोर्ट लगातार मिलती रही हैं कि पाकिस्तान ने अपने यहां वजीरिस्तान इलाके में मौजूद आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान पहुंचाया है. इसमें लश्कर-ए-तोयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसी तंजीमों के आतंकी भी शामिल है. ध्यान रहे कि 90 के दशक में जैश के पूर्ववर्ती संगठन हरकत उल मुजाहिदीन का अफगानिस्खोतान के खोस्त के इलाके में आतंकी प्रशिक्षण कैंप था. वहां कई कश्मीरी युवाओं को भी भेजा गया. 


भारत पर किसी हमले की संभालना से इनकार नहीं किया जा सकता


उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मौजूदा दौर में भारतीय हितों के खिलाफ किसी हमले की संभालना से इनकार नहीं किया जा सकता है. आतंकी समूह जहां अपनी ताकत बढ़ाने के लिए किसी हमले को अंजाम दे सकते हैं. वहीं तालिबान और भारत के बीच किसी तरह के संवाद और संबंध की संभावना को खत्म करने के लिए भी इस तरह के हमले का सहारा लिया जा सकता है. 


इस बीच भारत ने अफगानिस्तान के हालात के मद्देनजर अपनी सभी सुरक्षा एजेंसियों को आगाह कर चौकन्ना रहने के लिए कहा है. ताकि हर छोटी बड़ी हरकत की निगरानी की जा सके. सूत्रों के अनुसार इस बात की रिपोर्ट्स भी सामने आई हैं कि तालिबान के साथ लड़ने गए पाक आतंकी जहां अब सत्ता में हिस्सेदारी तलाश रहे हैं. वहीं उन्होंने काबुल समेत अफगानिस्तान के कुछ इलाकों में अपनी वसूली चौकियां भी बना ली हैं. 


हालांकि बीते दो दशकों के दौरान स्थिति काफी बदली है. उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि भारत में आतंकी हमलों को नाकाम करने की क्षमता पहले के मुकाबले कहीं अधिक है. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आतंकी फिर भी कुछ हरकतों को अंजाम देने में कामयाब हो सकते हैं. लेकिन जम्मू-कश्मीर या भारत के किसी अन्य भाग को अलग करना उनके लिए असंभव है. 


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