महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित गरुण पुराण भगवान विष्णु की भक्ति पर आधारित है। इसे 18 पुराणों में से एक माना जाता है। गरुड़ पुराण में मौत का रहस्य है तो जीवन का सार भी छिपा हुआ है। गरुड़ पुराण में स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य के अलावा ज्ञान, विज्ञान, नीति, नियम और धर्म की बातें हैं। गरुड़ पुराण में 279 अध्याय और 18000 श्लोक हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार अपने जीवनसाथी से दीर्घकाल तक दूर नहीं रहना चाहिए। हमेशा अच्छे चरित्र के लोगों से मित्रता करनी चाहिए। महिलाओं को हर व्यक्ति का यथायोग्य सम्मान करना चाहिए। कहा गया है कि जिसका कोई शत्रु नहीं वह अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर रहा है। जैसा शत्रु है, उसके अनुसार नीति का उपयोग कर उसे काबू में रखना चाहिए। यदि सौभाग्यशाली बनना हैं तो साफ-सुथरे, सुगंधित कपड़े पहनें। जो मैले वस्त्र पहनते हैं उनके घर में कभी लक्ष्मी नहीं आती है। अभ्यास के बिना विद्या नष्ट हो जाती है। संतुलित भोजन करने से निरोगी काया प्राप्त होती है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है वह सभी कष्टों से मुक्त रहता है। गरुड़ पुराण के अनुसार चोर के यहां कभी भोजन नहीं करना चाहिए। क्रोधी व्यक्ति के यहां भी भोजन नहीं करना चाहिए। जिन लोगों की आदत दूसरों की चुगली करने की होती है, उनके यहां भोजन को भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। जो लोग नशीली चीजों का व्यापार करते हैं, उनके यहां भोजन करना वर्जित है। देर तक सोना जल्दी मृत्यु का कारण माना गया है। अत्यधिक भोग-विलास में लिप्त रहने को अचानक मृत्यु का कारण माना गया है। हरे-भरे वन, जंगल, फसल और पेड़-पौधों को नष्ट करना पाप की श्रेणी में आता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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