पुरुषोत्तम वर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Vikas Kumar
Updated Mon, 29 Mar 2021 12:55 AM IST
कोरोना वायरस का टीका
– फोटो : पीटीआई
दक्षिण दिल्ली स्थित एक प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पर आईजीआई एयरपोर्ट पर तैनात एसआई को कोरोना का दूसरा टीका गलत गला दिया गया। एसआई ने इसकी सूचना 100 नंबर पुलिस कंट्रोल रूम को दी। कहीं से कार्रवाई न होते देख एसआई अपने आईजीआई एयरपोर्ट थाने में डीडी एंट्री दर्ज की है। दक्षिण पश्चिमी जिला पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।
आईजीआई एयरपोर्ट जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार एसआई राजीव गुलाटी आईजीआई थाने में तैनात है। एसआई ने थाने के रोजनामचे में दर्ज डीडी एंट्री (0030ए) में कहा है कि वह अपने साथी पुलिसकर्मी के साथ दक्षिण दिल्ली में स्थित एक प्राइवेट प्रतिष्ठित अस्पताल में कोविड की दूसरी डोज लेने 26 मार्च को गया था। उसे दूसरी डोज लगाने की 250 रुपये की पर्ची भी अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई थी। एसआई ने डीडी एंट्री में कहा है कि उसने दूसरी डोज के लिए फार्म भरा था और फार्म में स्पष्ट रूप से लिखा था कि उसने पहली डोज कोविशील्ड की ली थी। जबकि वहां मौजूद स्टाफ ने उसे कोवाक्सिन की दूसरी डोज लगा दी। जब उसने विरोध किया तो उसे सर्टिफिकेट जारी करने से मना कर दिया।
एसआई ने इसकी सूचना 100 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को दी। जेबरा 28 अल्फा पीसीआर वैन मौके पर पहुंची थी। वसंतकुंज (नार्थ) थाने से एसआई यशपाल ने एसआई राजीव गुलाटी को उसक मोबाइल पर फोन किया। मगर एसआई यशपाल किसी भी बात को रिकॉर्ड पर लेकर नहीं आया। बाद में अस्पताल प्रशासन ने उसे कोवाक्सिन की पहली डोज का सर्टिफिकेट दिया। एसआई ने पूरी बात अपनी अपने सीनियर पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में भी डाली हैं। गलत डोज लगने से एसआई को अस्पताल में करीब डेढ़ घंटे निगरानी में रखा गया था। हालांकि अस्पताल प्रशासन व एसआई एक-दूसरे पर आरोप लगा रह हैं। इस मामले में जब अस्पताल के प्रवक्ता से बात की तो उन्होंने कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया।
लोकनायक अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सभी निजी अस्पतालों में इस समय कोवीशिल्ड वैक्सीन लगाई जा रही है। ऐसा नहीं हो सकता कि एक ही अस्पताल में मरीजों को दो प्रकार के टीके लगा दिया जाए, लेकिन अगर पीड़ित के अनुसार ऐसे हुआ है तो उसे तुरंत ऑब्जरवेशन में जाने की जरूरत है। हालांकि, अभी तक ऐसे कोई शोध नहीं हुआ है कि अलग-अलग वैक्सीन लगने के क्या प्रतिकूल प्रभाव हैं।
डीसीपी का ये कहना है
दक्षिण-पश्चिमी जिला डीसीपी इंगित प्रताप सिंह का कहना है कि ये मामला अभी उनकी संज्ञान में नहीं है। अगर उन्हें शिकायत मिलती है तो इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
विस्तार
दक्षिण दिल्ली स्थित एक प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पर आईजीआई एयरपोर्ट पर तैनात एसआई को कोरोना का दूसरा टीका गलत गला दिया गया। एसआई ने इसकी सूचना 100 नंबर पुलिस कंट्रोल रूम को दी। कहीं से कार्रवाई न होते देख एसआई अपने आईजीआई एयरपोर्ट थाने में डीडी एंट्री दर्ज की है। दक्षिण पश्चिमी जिला पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।
आईजीआई एयरपोर्ट जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार एसआई राजीव गुलाटी आईजीआई थाने में तैनात है। एसआई ने थाने के रोजनामचे में दर्ज डीडी एंट्री (0030ए) में कहा है कि वह अपने साथी पुलिसकर्मी के साथ दक्षिण दिल्ली में स्थित एक प्राइवेट प्रतिष्ठित अस्पताल में कोविड की दूसरी डोज लेने 26 मार्च को गया था। उसे दूसरी डोज लगाने की 250 रुपये की पर्ची भी अस्पताल प्रशासन द्वारा दी गई थी। एसआई ने डीडी एंट्री में कहा है कि उसने दूसरी डोज के लिए फार्म भरा था और फार्म में स्पष्ट रूप से लिखा था कि उसने पहली डोज कोविशील्ड की ली थी। जबकि वहां मौजूद स्टाफ ने उसे कोवाक्सिन की दूसरी डोज लगा दी। जब उसने विरोध किया तो उसे सर्टिफिकेट जारी करने से मना कर दिया।
एसआई ने इसकी सूचना 100 नंबर पर पुलिस कंट्रोल रूम को दी। जेबरा 28 अल्फा पीसीआर वैन मौके पर पहुंची थी। वसंतकुंज (नार्थ) थाने से एसआई यशपाल ने एसआई राजीव गुलाटी को उसक मोबाइल पर फोन किया। मगर एसआई यशपाल किसी भी बात को रिकॉर्ड पर लेकर नहीं आया। बाद में अस्पताल प्रशासन ने उसे कोवाक्सिन की पहली डोज का सर्टिफिकेट दिया। एसआई ने पूरी बात अपनी अपने सीनियर पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में भी डाली हैं। गलत डोज लगने से एसआई को अस्पताल में करीब डेढ़ घंटे निगरानी में रखा गया था। हालांकि अस्पताल प्रशासन व एसआई एक-दूसरे पर आरोप लगा रह हैं। इस मामले में जब अस्पताल के प्रवक्ता से बात की तो उन्होंने कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया।
लोकनायक अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सभी निजी अस्पतालों में इस समय कोवीशिल्ड वैक्सीन लगाई जा रही है। ऐसा नहीं हो सकता कि एक ही अस्पताल में मरीजों को दो प्रकार के टीके लगा दिया जाए, लेकिन अगर पीड़ित के अनुसार ऐसे हुआ है तो उसे तुरंत ऑब्जरवेशन में जाने की जरूरत है। हालांकि, अभी तक ऐसे कोई शोध नहीं हुआ है कि अलग-अलग वैक्सीन लगने के क्या प्रतिकूल प्रभाव हैं।
डीसीपी का ये कहना है
दक्षिण-पश्चिमी जिला डीसीपी इंगित प्रताप सिंह का कहना है कि ये मामला अभी उनकी संज्ञान में नहीं है। अगर उन्हें शिकायत मिलती है तो इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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