अमर उजाला एक्सक्लूसिव: बुखार-खांसी को समझते रहे कोरोना, जांच हुई तो मर्ज निकला टीबी

सार

आगरा जिले में ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान के तहत सात से 25 जुलाई तक टीबी के 238 संभावित मरीज मिले हैं।

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बुखार, खांसी और सांस का फूलना। कोरोना संक्रमण के भी यही लक्षण हैं। आगरा में ऐसे लक्षण महसूस करने पर लोगों ने जांच नहीं कराई। दवाई खाते रहे लेकिन हालत नहीं सुधरी। ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ के अभियान की टीम जब घर पहुंची और हालत देख बलगम की जांच कराई तो असल मर्ज टीबी का निकला।

जिले में ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान के तहत सात से 25 जुलाई तक टीबी के 238 संभावित मरीज मिले। इनकी स्क्रीनिंग के बाद शेष 156 लोगों के बलगम की जांच में 36 में टीबी की पुष्टि हुई। शहर के छह और देहात के 30 रोगी रहे। टीम की स्क्रीनिंग पर लोगों में बुखार, खांसी, सांस लेने में परेशानी, भूख कम लगना जैसे लक्षण मिले। 

पूछने पर लोगों ने टीम को बताया कि बीते डेढ़ से दो महीने से यह स्थिति है, पहले तो कोरोना संक्रमण समझ रहे थे। घर में किसी न किसी सदस्य को कोरोना का संक्रमण हुआ भी था। बुखार-खांसी की दवा भी ली, जिससे आराम भी मिल जाता था, लेकिन कुछ दिन बाद फिर से यही परेशानी होने लगती। लोगों ने यह भी बताया कि ऐसे 17 लोग रहे, जो संक्रमण मान रहे थे लेकिन मर्ज टीबी का निकला। ये लोग टीम को नमूना देने से भी कतरा रहे थे। 

टीबी के आंकड़े 
238: संभावित मरीज तलाशे गए
156: लोगों के बलगम की जांच 
36: लोगों में टीबी की पुष्टि हुई
12: में सांस रोग की मिली बीमारी

रुनकता-सीकरी में सबसे ज्यादा मरीज
रुनकता और फतेहपुर सीकरी में टीबी के सबसे ज्यादा चार-चार मरीज मिले। शमसाबाद, खेरागढ़, एत्मादपुर, बरौली अहीर और आगरा उत्तर में तीन-तीन मरीज पाए गए। आगरा दक्षिण, जैतपुर कलां, सैंया और सेमरी में दो-दो मरीज और लोहामंडी व बाह में एक-एक व्यक्ति में टीबी की पुष्टि हुई। 

टीबी के लक्षणों को करते रहे नजरअंदाज
‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान के प्रभारी कमल सिंह ने बताया कि लोगों से पूछताछ में पाया कि सभी को टीबी के लक्षणों की जानकारी थी, जैसे कि 15 दिन से अधिक समय तक खांसी रहना, बुखार होना, वजन कम होते जाना, फिर भी इनको नजरअंदाज करते रहे। ऐसे भी लोग रहे, जो सामाजिक भेदभाव की आशंका से भी जांच कराने नहीं गए। 

टीबी की बीमारी मिलने के बाद शुरू किया इलाज: डॉ. संत कुमार
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संत कुमार ने बताया कि दस्तक अभियान में मिले 36 मरीजों का निशुल्क इलाज शुरू कर दिया है। परिजनों को सावधानी बरतने की जानकारी देने के साथ इनके पौष्टिक भोजन की भी सलाह दी है। टीबी रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है, जांच और इलाज पूरी तरह से निशुल्क है। 500 रुपये प्रतिमाह भी दिए जाते हैं।

विस्तार

बुखार, खांसी और सांस का फूलना। कोरोना संक्रमण के भी यही लक्षण हैं। आगरा में ऐसे लक्षण महसूस करने पर लोगों ने जांच नहीं कराई। दवाई खाते रहे लेकिन हालत नहीं सुधरी। ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ के अभियान की टीम जब घर पहुंची और हालत देख बलगम की जांच कराई तो असल मर्ज टीबी का निकला।

जिले में ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान के तहत सात से 25 जुलाई तक टीबी के 238 संभावित मरीज मिले। इनकी स्क्रीनिंग के बाद शेष 156 लोगों के बलगम की जांच में 36 में टीबी की पुष्टि हुई। शहर के छह और देहात के 30 रोगी रहे। टीम की स्क्रीनिंग पर लोगों में बुखार, खांसी, सांस लेने में परेशानी, भूख कम लगना जैसे लक्षण मिले। 

पूछने पर लोगों ने टीम को बताया कि बीते डेढ़ से दो महीने से यह स्थिति है, पहले तो कोरोना संक्रमण समझ रहे थे। घर में किसी न किसी सदस्य को कोरोना का संक्रमण हुआ भी था। बुखार-खांसी की दवा भी ली, जिससे आराम भी मिल जाता था, लेकिन कुछ दिन बाद फिर से यही परेशानी होने लगती। लोगों ने यह भी बताया कि ऐसे 17 लोग रहे, जो संक्रमण मान रहे थे लेकिन मर्ज टीबी का निकला। ये लोग टीम को नमूना देने से भी कतरा रहे थे। 

टीबी के आंकड़े 

238: संभावित मरीज तलाशे गए

156: लोगों के बलगम की जांच 

36: लोगों में टीबी की पुष्टि हुई

12: में सांस रोग की मिली बीमारी

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