आभूषण विक्रेता को गोल्ड लोन का कुछ हिस्सा सोने के रूप में लौटाने का विकल्प दें: आरबीआई

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मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बुधवार को बैंकों से कहा कि वह आभूषण निर्यातकों और घरेलू स्वर्ण आभूषण विनिर्माताओं को स्वर्ण (धातु) ऋण (जीएमएल) का कुछ हिस्सा सोने के रूप में लौटाने का विकल्प उपलब्ध कराएं.

जीएमएल का भुगतान भारतीय रुपये में उधार लिए गए सोने के मूल्य के बराबर राशि पर किया जाता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अब इन नियमों की समीक्षा की है. रिजर्व बैंक के सर्कुलर के मुताबिक, ‘‘बैंकों को गोल्ड लोन का कुछ हिस्सा एक किलो या इससे अधिक सोने के रूप में लौटाने का विकल्प लेनदारों को देना चाहिए.’’ हालांकि, इसमें कुछ शर्तें होंगी.

मौजूदा निर्देशों के मुताबिक सोने का आयात करने के लिए प्राधिकृत बैंक और स्वर्ण मौद्रीकरण योजना 2015 (जीएमएस) में भागीदारी करने वाले प्राधिकृत बैंक आभूषण निर्यातकों और स्वर्णाभूषणों के घरेलू विनिर्माताओं को जीएमएल उपलब्ध करा सकते हैं.

गोल्ड हॉलमार्किंग

वहीं देश में गोल्ड हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार की ओर से सोने के आभूषण और कलाकृति की शुद्धता की पहचान के लिए बीआईएस हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि अब दुकानदार केवल बीआईएस प्रमाणित सोने के गहने ही बेचें. सरकार की ओर से जारी इस आदेश के मुताबिक सभी ज्‍वेलर्स को सोने के गहने या कलाकृति बेचने के लिए बीआईएस स्‍टैंडर्ड के मानकों को पूरा करना होगा. 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट शुद्धता वाले सोने की हॉलमार्किंग की जाएगी.

यह भी पढ़ें: Gold Hallmarking: गोल्ड हॉलमार्किंग के अनिवार्य नियम से जुड़ी काम की बातें

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