इकोनॉमी में स्लोडाउन का एक और संकेत, मई में ई-वे बिल साल के न्यूनतम स्तर पर 

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मई महीने में राज्य और दो राज्यों के भीतर माल ढुलाई का इंडिकेटर ई-वे बिल में गिरावट आ सकती है. यह इस साल का अब तक की सबसे बड़ी गिरावट हो सकती है. कोरोना संक्रमण की वजह से कई राज्यों में लगे लॉकडाउन, आंशिक कोरोना कर्फ्यू और पाबंदियों की वजह से एक राज्य से दूसरे राज्य तक सामान पहुंचने में देरी हो रही है या कई जगह तो सामान ढुलाई बंद हो चुकी है.

सिर्फ जरूरी सामानों की हो रही ढुलाई

पिछले साल लॉकडाउन से पहले हर दिन हर रोज18 लाख से अधिक ई-वे बिल जेनरेट हो रहे थे लेकिन इस साल मई के पहले पखवाड़े में यह गिर कर दस लाख पर पहुंच गया. जबकि सामान्य दिनों के हिसाब से अगर ई-वे बिल जेनरेट होता तो मई में यह तीन से साढ़े तीन करोड़ तक पहुंच सकता था. जून 2020  में यह संख्या चार करोड़ से ज्यादा थी. आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल जून के बाद इस साल मई में औसतन ई-वे  बिल जेनरेशन सबसे कम है. विश्लेषकों के मुताबिक यह गिरावट ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन नहीं है. हालांकि इसकी एक वजह यह हो सकती है कि फिलहाल ऑक्सीजन और मेडिकल सामानों की ढुलाई पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.

इकोनॉमी का अहम इंडिकेटर है ई-वे बिल 

इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक इस वक्त दवाइयों, मेडिकल सामानों और एफएमसीजी प्रोडक्ट की ढुलाई चल रही है लेकिन ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंस्ट्रक्शन के सामानों  की ढुलाई लगभग बंद है. लॉकडाउन ने गैर अनिवार्य चीजों और सर्विस सेक्टर से जुड़े प्रोडक्ट की ढुलाई लगभग ठप कर दी है. ई-वे बिल 50 हजार रुपये से ज्यादा के सामानों की ढुलाई पर जेनरेट होता है. इसे इकोनॉमी का एक अहम इंडिकेटर माना जाता है. सबसे ज्यादा ई-वे बिल पिछले साल अप्रैल में जेनरेट हुए थे. उस वक्त इसकी संख्या 86 लाख तक पहुंच गई थी.

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