चीनी मिलों के संगठन इस्मा ने सोमवार को एक बार फिर सरकार से चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाए जाने की गुहार लगाई है। इस्मा का कहना है कि इससे चीनी मिलों को किसानों को गन्ना बकाया चुकाने में मदद होगी। संगठन का कहना है कि चीनी का भाव अपेक्षाकृत कम है और इसके कारण मिलों की नकदी समस्या बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 विपणन सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में फरवरी तक गन्ने का बकाया 22,900 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2019-20 सत्र के 19,200 करोड़ रुपये से अधिक है।
चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) आखिरी बार फरवरी 2019 में तय किया गया था। हालांकि, गन्ना और चीनी उद्योग पर नीति आयोग द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने दो रुपये प्रति किलो की एकमुश्त वृद्धि की सिफारिश की है। चीनी का एमएसपी, उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के घटकों और सबसे कुशल मिलों की न्यूनतम रूपांतरण लागत को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
चीनी की एक्स-मिल कीमतें 31-33 रुपये प्रति किलो
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने एक बयान में कहा, ”पिछले कई महीनों से चीनी की एक्स-मिल कीमतें 31-33 रुपये प्रति किलो के दायरे में हैं। नकदी का स्तर बनाए रखने के लिए, मिलों पर इतनी कम कीमतों पर चीनी बेचने का दबाव है, जिससे इतना घन सृजित नहीं किया जा सकता है कि गन्ना किसानों के पूरे के पूरे उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का भुगतान किया जा सके।
पिछले साल जून में खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा था कि सरकार चीनी के एमएसपी को मौजूदा स्तर से बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। लेकिन, अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। इस्मा के अनुसार, गन्ना किसान और चीनी मिलों को सरकार द्वारा चीनी के एमएसपी में वृद्धि के संबंध में बहुप्रतीक्षित घोषणा की उम्मीद है, जिससे चीनी मिलों की आय प्राप्ति में सुधार हो सके और किसानों का भुगतान किया जा सके।
अप्रैल तक घरेलू बाजार में एक करोड़ 52.6 लाख टन चीनी की बिक्री
इसने कहा, ”मौजूदा परिस्थितियों में, चीनी के एमएसपी में 31 रुपये प्रति किलो के मौजूदा स्तर को बढ़ाने… यह सुनिश्चित करने का एकमात्र यथार्थवादी तरीका प्रतीत होता है कि चीनी मिलें अपने नकदी प्रवाह की स्थिति में सुधार कर सकें और किसानों के गन्ना मूल्य बकाया का तेजी से और प्रभावी ढंग से कम किया जा सके। इसमें कहा गया है कि चीनी मिलों ने मौजूदा 2020-21 के विपणन सत्र (अक्टूबर-सितंबर) में अप्रैल तक घरेलू बाजार में एक करोड़ 52.6 लाख टन चीनी की बिक्री की है, जबकि सरकार ने 1.47 करोड़ टन का कोटा निर्धारित किया है।
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निर्यात के संदर्भ में, इस्मा ने कहा कि चीनी मिलों ने अब तक 57 लाख टन चीनी निर्यात करने का अनुबंध किया है, जो कि चालू सत्र के लिए सरकार द्वारा निर्धारित 60 लाख टन निर्यात लक्ष्य का 95 प्रतिशत है। इसमें से चालू सत्र की जनवरी-अप्रैल की अवधि के दौरान 37 लाख टन चीनी का भौतिक रूप से देश से बाहर निर्यात किया गया है।
यह भी बताया गया है कि इस महीने भौतिक रूप से निर्यात किए जाने के लिए 7-8 लाख टन चीनी निर्यात की प्रक्रिया में है।चीनी उत्पादन के बारे में, इस्मा ने कहा कि देश भर की चीनी मिलों ने चालू विपणन सत्र 2020-21 में 15 मई तक तीन करोड़ 3.6 लाख टन चीनी उत्पादन किया है, जो एक साल पहले की इसी अवधि में दो करोड़ 65.3 लाख टन से 14.43 प्रतिशत अधिक है।
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