इस बार दो अमावस्या, जानिए कैसे उठाएं इसका फायदा

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आषाढ़ मास में इस बार दो अमावस्याओं का योग बन रहा है। नौ जुलाई  शुक्रवार को अमावस्या प्रातः काल सूर्योदय से 10 जुलाई शनिवार को प्रातः 6:46  बजे तक रहेगी। अर्थात अमावस्या तिथि की वृद्धि हो रही है। लौकिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या की वृद्धि  शुभ नहीं मानी जाती। नौ जुलाई को अमावस्या पूरे दिन रात  रहेगी। अमावस्या पितृ कार्यों में श्रेष्ठ होती है। अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए लोग अमावस्या को गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपने अपने घरों में भी स्नान करके पितरों के निमित्त जलांजलि  देते हैं। अमावस्या को कई लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण भोज भी कराते हैं और गरीबों को अन्न और वस्त्र का दान करते हैं। जिनकी कुंडलियों में पितृदोष होता है  उन्हें अमावस्या को तीर्थ क्षेत्र या पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों के निमित्त तर्पण एवं यज्ञ करना चाहिए। इस बार दो अमावस्याओं का योग बहुत अच्छा है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए एकसाथ दो-दो अवसर मिलेंगे। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार पितृ देव अपने कुल के लिए बहुत ही सहायक होते हैं। उन्हें प्रसन्न करना उन्नति कारक माना गया है। कहा जाता है कि भगवान तो पूरे विश्व को देखते हैं और उसकी चिंता करते हैं। किंतु पितृ देवता अपने कुल और परिवार के लोगों की रक्षा करते हैं और उन्हें प्रसन्न रहने का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने के  लिए बहुत शुभ माना गया है। दूसरी बात यह है कि शनिवार को पढ़ने वाली शनि अमावस्या यद्यपि प्रातःकाल सूर्योदय से एक घंटा 11 मिनट ही है। किन्तु उदय कालीन अमावस्या होने पर पूरे दिन अमावस्या रहेगी। पितृ कार्यों के लिए दो दिन का समय सबके लिए सुविधाजनक रहेगा रहेगा।

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अमावस्या को ऐसे करें पितृ पूजन- सर्वप्रथम जल्दी उठकर अपने कुल के  पितरों का अर्थात मृतक पूर्वजों का स्मरण करें। यदि घर में उनका चित्र है तो उनके चरण स्पर्श करें और स्नान करने से पूर्व स्नान के जल में कुछ काले तिल डालें। काले तिल डालने से शरीर के सभी विकार समाप्त जाते हैं और शरीर पवित्र हो जाता है। पितृ कार्यों में काले तिल बहुत ही लाभदायक है। स्नान करने के बाद अपनी नियमित पूजा करें। एक लोटे में जल भरे। उसमें काले तिल, शहद की कुछ बूंदे अथवा बताशा या मिश्री डालें। जहां से सूर्य के सुबह को दर्शन होते हैं उस स्थान पर जाएं सूर्य की ओर देखते हुए जल को पितरों के निमित्त अर्पण कर दें और सूर्य देव से प्रार्थना करें कि यह जल हमारे पितरों के लिए प्राप्त हो। उसके पश्चात घर में भोजन बनाएं। पकवान आदि बना सकते हैं तो ठीक है। नहीं तो सामान्य भोजन ही चलेगा। उसमें से सबसे पहले कुछ भोजन गाय के निमित्त निकालें और अपनी परंपरा के अनुसार मंदिर में भोजन दान करें अथवा किसी ब्राह्मण को भी भोजन कराएं। गरीबों के लिए अन्न और वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और अपने कुल के व्यक्तियों को आशीर्वाद देते हैं।
शनि अमावस्या को शनि के उपाय भी करने चाहिए। यदि किसी की जन्म कुंडली के अनुसार शनि की ढैया,साढेसती, महादशा चल रही हो अथवा जन्म कुंडली में शनि अशुभ फल दे रहा है तो शनि की विधि विधान से पूजा करें। शनि के किसी भी मंत्र, वैदिक, तांत्रिक अथवा बीज मंत्र का जाप करें। शनि देव गरीबों, मजदूरों और श्रमिकों को प्रसन्न करने से प्रसन्न होते हैं। शनि देव को नैतिकता पसंद है। जो व्यक्ति सात्विक मार्ग पर चलने वाले होते हैं और नैतिक कार्यों में संलिप्त होते हैं। उन्हें शनि देव धन-धान्य और सभी सुखों से युक्त कर देते हैं। शनि देव को  न्यायाधीश कहा गया है। अनैतिक रूप से किया हुआ कार्य या कमाया हुआ धन कभी भी बरकत नहीं देगा। शनि अपनी साढ़ेसाती में अथवा महादशा में उन लोगों को बहुत आगे ले जाते हैं जो नैतिक कार्य करते हैं। और अपने मातहत कर्मचारियों को प्रसन्न रखते हैं।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।) 

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