ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर का तीसरा माह है। इस माह जल की पूजा की जाती है। जल को लेकर विशेष रूप से दो त्योहार मनाए जाते हैं, गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी। मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में हनुमानजी की प्रभु श्रीराम से मुलाकात हुई, इसीलिए इस माह हनुमानजी की पूजा बहुत पुण्यदायी मानी जाती है।
इस माह सूर्यदेव अधिक ताकतवर होते हैं। नौतपा भी इसी माह आरंभ होता है। इस माह वट सावित्री व्रत, शनि जयंती, गंगा दशहरा, अपरा एकादशी, निर्जला एकादशी, अचला एकादशी, गणेश चतुर्थी आदि कई त्योहार मनाए जाते हैं। इस महीने नारद जयंती एवं न्याय के देवता शनिदेव का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। ज्येष्ठ मास में जल दान का विशेष महत्व है। इस माह घर की छत पर चिड़ियों के लिए दाना-पानी रखना चाहिए। गंगा मां को ज्येष्ठ भी कहा जाता है। इस मास आने वाले त्योहारों से ऋषि-मुनियों ने संदेश दिया कि गंगा का पूजन करें और जल के महत्व को समझें। इस माह ऐसी वस्तुओं का दान करना चाहिए जो शीतलता और छाया प्रदान करने वाली हों। इस माह भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना पुण्यदायी है। इस माह सूर्यदेवता और वरुण देव की उपासना करें। इस महीने लहसुन, राईं, गर्मी करने वाली सब्जियां और फल नहीं खाना चाहिए। कहा जाता है कि ज्येष्ठ माह में दिन में शयन नहीं करना चाहिए। ज्येष्ठ माह में एक समय भोजन करना वाला व्यक्ति निरोगी रहता है। इस माह तिल का दान करने से अकाल मृत्यु से बचाव होता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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