डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में लगभग 20 ग्रामीणों को कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों के डोज दे दिए गए। मामले ने तूल पकड़ा तो स्वास्थ्य मंत्रालय को सफाई देने के लिए सामने आना पड़ा। गुरुवार को नीति आयोग सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि अगर अलग-अलग वैक्सीन की डोज भी लग गई हैं तो कुछ खास फर्क नहीं पड़ता। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि प्रोटोकॉल स्पष्ट है दिए गए दोनों डोज एक ही वैक्सीन की होनी चाहिए।
डॉ. पॉल ने कहा कि जहां अलग-अलग वैक्सीन की डोज लगा दी गई है उस केस की जांच होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा साइंटिफिक नेरेटिव चल रहा है कि एक वैक्सीन के बाद अगर दूसरी डोज दूसरी वैक्सीन की दी जाए तो इससे इम्युनिटी और भी ज्यादा होती है। लेकिन इस नेरेटिव को परखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी सभी हेल्थवर्कर्स से यही अपील है कि वह ये सुनिश्चित करें कि जिसे जिस वैक्सीन की पहली डोज दी गई है उसे दूसरी डोज भी उसी वैक्सीन की लगे। अभी सभी को प्रोटोकॉल फॉलो करना है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 270 किलोमीटर दूर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीणों को पहली डोज कोविशील्ड की लगाई गई और फिर दूसरी खुराक के रूप में कोवाक्सिन दिया गया। सिद्धार्थनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी संदीप चौधरी ने कहा, यह निश्चित रूप से एक भूल है। सरकार की ओर से टीकों के कॉकटेल को प्रशासित करने के लिए कोई निर्देश नहीं हैं। हमने जांच के आदेश दिए थे और रिपोर्ट प्राप्त कर ली है। मैंने दोषी लोगों से स्पष्टीकरण मांगा है।
अधिकारी ने दावा किया कि किसी भी ग्रामीण को इसके कारण कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। CMO ने कहा कि जिन-जिन लोगों को अलग-अलग टीका लगाया गया है उनसे हमारी टीम ने बात की। वह सभी स्वस्थ हैं और उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हुई है। हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग से कोई भी उनकी जांच करने नहीं आया था। एक बुजुर्ग राम सूरत ने कहा, मुझे बाद में पता चला कि मुझे कोवैक्सिन दिया गया था। एक डॉक्टर ने हमें बताया कि कुछ गड़बड़ हो गई है।
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