एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष में अगर प्रोविडेंट फंड में कर्मचारियों का योगदान 2.5 लाख रुपये से अधिक रहता है तो वह टैक्स के दायरे में आएगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 के बजट भाषण में यह बात कही थी। वहीं 2.5 रुपये तक के इनवेस्टमेंट पर टैक्स में छूट मिलेगी। 2021 के फाइनेंस बिल में इस बात का उल्लेख था। अगर नियोक्ता इसमें योगदान नहीं करता है तो 5 लाख रुपये तक का इनवेस्टमेंट भी टैक्स छूट के दायरे में आएगा।
किसी कर्मचारी के मूल वेतन का 12 प्रतिशत पैसा प्रोविडेंट फंड में कटता है, जबकि अन्य 12 प्रतिशत नियोक्ता के खाते से कटता है। कुछ जरूरी बातें जो प्रोविडेंट फंड के टैक्स से जुड़ी हैं।
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1- 2021 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अधिक कमाई करने वाले लोगों कर्मचारियों को टैक्स छूट को और बेहतर बनाने के लिए 2.5 लाख रुपये तक के वार्षिक योगदान तक सीमित करने का प्रस्ताव दिया था।
2- ऐसे मामले में जहां नियोक्ता का योगदान कुछ भी नहीं रहेगा वहां 5 लाख रुपये तक कर में छूट मिल सकेगी।
3- इस नए बदलाव का सीधा असर उच्च आय वाले लोगों पर पड़ेगा। कोई भी व्यक्ति जिसकी आय 20.83 लाख रुपये से अधिक होगी उनके ईपीएफ काॅन्ट्रिब्यूशन पर टैक्स लगेगा। इस फैसले से करीब 7 प्रतिशत लोगों पर प्रभाव पड़ेगा।
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4- इस बदलाव के बाद ऐसे कर्मचारी जो 12 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान दे रहे हैं वह भी प्रभावित होंगे।
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