एल्गार परिषद मामला: एनआईए ने कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ 17 मसौदा आरोप दायर किए, यहां पाएं पूरी जानकारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: Jeet Kumar
Updated Mon, 23 Aug 2021 06:02 AM IST

सार

एनआईए के अनुसार, इन सभी लोगों द्वारा हिंसक गतिविधियों के पीछे मुख्य उद्देश्य राज्य से सत्ता हथियाने के लिए क्रांति और सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक जनता सरकार स्थापित करना था।

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत एक विशेष अदालत के समक्ष 17 मसौदा आरोप दायर किए है।

सभी आरोप मृतक फादर स्टेन स्वामी और 5 फरार आरोपियों सहित 15 आरोपियों के खिलाफ हैं, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में विशेष एनआईए अदालत में पेश किया गया था। एनआईए के अनुसार, इन सभी लोगों द्वारा हिंसक गतिविधियों के पीछे मुख्य उद्देश्य राज्य से सत्ता हथियाने के लिए क्रांति और सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक जनता सरकार स्थापित करना था।

एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि आरोपियों का कथित इरादा हिंसा को उकसाना और कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असंतोष फैलाना, साजिश करना, अव्यवस्था पैदा करना था ताकि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरा हो।

इस मामले में गिरफ्तार आरोपी हैं- कार्यकर्ता रोना विल्सन, नागपुर के वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोमा सेन, महेश राउत, रिपब्लिकन पैंथर्स के सुधीर धवले, वकील कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, तेलुगु कवि पी वरवर राव, कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्विस, दिवंगत पिता स्टेन स्वामी, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, प्रोफेसर हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गायचोर, ज्योति जगताप और फरार आरोपी मिलिंद तेलतुंबडे।

क्या है एल्गार परिषद मामला
एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एक सभा में कथित भड़काउ भाषण देने से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि उक्त भाषण के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र के बाहरी इलाकों में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सभा को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। मामले की जांच अब एनआईए कर रही है। इसमें कई कार्यकर्ताओं और अकादमिक जगत के लोगों को आरोपी बनाया गया है।

विस्तार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत एक विशेष अदालत के समक्ष 17 मसौदा आरोप दायर किए है।

सभी आरोप मृतक फादर स्टेन स्वामी और 5 फरार आरोपियों सहित 15 आरोपियों के खिलाफ हैं, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में विशेष एनआईए अदालत में पेश किया गया था। एनआईए के अनुसार, इन सभी लोगों द्वारा हिंसक गतिविधियों के पीछे मुख्य उद्देश्य राज्य से सत्ता हथियाने के लिए क्रांति और सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक जनता सरकार स्थापित करना था।

एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि आरोपियों का कथित इरादा हिंसा को उकसाना और कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असंतोष फैलाना, साजिश करना, अव्यवस्था पैदा करना था ताकि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरा हो।

इस मामले में गिरफ्तार आरोपी हैं- कार्यकर्ता रोना विल्सन, नागपुर के वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोमा सेन, महेश राउत, रिपब्लिकन पैंथर्स के सुधीर धवले, वकील कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, तेलुगु कवि पी वरवर राव, कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्विस, दिवंगत पिता स्टेन स्वामी, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, प्रोफेसर हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गायचोर, ज्योति जगताप और फरार आरोपी मिलिंद तेलतुंबडे।

क्या है एल्गार परिषद मामला

एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एक सभा में कथित भड़काउ भाषण देने से संबंधित है। पुलिस का दावा है कि उक्त भाषण के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र के बाहरी इलाकों में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सभा को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। मामले की जांच अब एनआईए कर रही है। इसमें कई कार्यकर्ताओं और अकादमिक जगत के लोगों को आरोपी बनाया गया है।

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