ऑक्सीजन की जरुरत को कम करेगी DRDO की 2DG दवा, रक्षा मंत्री राजनाथ बोले- कोरोना मरीजों के लिए वरदान

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस संक्रमण से संक्रमित मरीज जिन्हें ऑक्सीजन की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अब DRDO द्वारा बनाई गई एंटी कोरोना 2DG दवा मिलेगी। इसे आज दिल्ली में आज लॉन्च किया गया। इस लॉन्च में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एवं स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन मौजूद थे। कोरोना वैक्सीन के बाद यह तीसरा सबसे महत्तवपूर्ण योगदान होगा। यह दवा ऑक्सीजन की कमी को पूरा करेगी।

कैसे होगा इस्तेमाल
यह दवा पानी में घोल कर दी जाएगी। डॉक्टर के द्वारा बताया जाएगा कि इस दवा को कितनी मात्रा में लेना है। यह दवा मरीजों को दिन में दो बार दी जाएगी और करीबन पांच से सात दिनों तक इसके डोज दिए जाएंगे। DRDO की तरफ से यह दावा किया गया था कि इस दवा से ऑक्सीजन की कमी पूरी होगी। जिससे मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

पहली स्वदेशी दवा
2DG रक्षा मंत्रालय के DRDO के द्वारा बनाई गई है। इस दवा को पहले स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को सौंपा गया। उसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने इसे एम्स के निर्देशक डॉ. रणदीप गुलेरिया को सौंपा। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह भारत की यह पहली स्वदेशी दवा है। यह दवा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में बनाई गई है। इसका निर्माण DRDO ने किया है।

ट्रायल में क्या मिला था
DRDO ने इसका उत्पादन डॉ. रेड्डी लैब्स के साथ मिलकर किया है। फिलहाल के लिए DGCI ने इसे इमरजेंसी यूज के लिए अनुमति दी है। इस दवा पर DRDO पिछले साल से काम कर रहा है। ट्रायल को तीन फेज में चलाया गया था। इस ट्रायल को अस्पतालों में चलाया गया था। इस दौरान जिन मरीजों को यह दवा दी गई थी, वह बाकी मरीजों के मुकाबले 2.5 दिन पहले ठीक हुए थे। उन्हें ऑक्सीजन की जरुरत भी कम पड़ी।

DRDO का दावा
भारत में ऑक्सीजन की कमी से हज़ारों की संख्या में मौतें हुई है। राजनाथ सिंह ने कहा है कि इस दवा का आना भारत में मौजूदा कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। वहीं, DRDO ने दावा किया हैं कि यह दवा ग्लूकोज पर आधारित है और इससे कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन के लिए ज्यादा निर्भर नहीं होना पड़ेगा। DRDO ने कहा था कि जिन मरीजों में मध्यम एवं गंभीर लक्षण हैं उन्हें यह दवा दी जाएगी। 

क्या हैं 2DG
2DG असल में 2DG मॉलिक्यूल का परिवर्तित रुप हैं जिसे ट्यूमर और कैंसर का इलाज के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। DGCI के तहत इसे सेकेंडरी मेडिसन के रुप में दिया जा रहा है। पहली प्राथमिकता आज भी रेमडेसिविर को दी जा रही है। 

 

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