डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। SARS-CoV-2 वायरस की उत्पत्ति वुहान लैब से हुई थी, इस थ्योरी को अब और अधिक गंभीरता से लिया जा रहा है। 26 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश की खुफिया एजेंसियों को दोगुने प्रयासों से कोरोनावायरस की उत्तपत्ति का पता लगाने के लिए कहा। कोरोनावायस किसी जानवार से इंसोनों में आया है या फिर इसे लैब में तैयार किया गया है, एजेंसी इसकी रिपोर्ट 90 दिनों में राष्ट्रपति को सौंपेगी। राष्ट्रपति बाइडन की घोषणा के बाद से एक बार फिर वायरस के वुहान की लैब से लीक होने की थ्योरी ने जोर पकड़ लिया है।
पिछले साल जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे तब उन्होंने भी इसे लेकर जांच शुरू की थी और चुनाव से पहले बार-बार ये दावा किया था कि कोरोनावायरस चीन की लैब से ही लीक हुआ है। इस साल की शुरुआत में यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने कोरोना की उत्पत्ति को लेकर एक फैक्ट शीट को भी पब्लिक किया था। इसमें पहले डिस्क्लोज की गई जानकारी और ओपन सोर्स दोनों जानकारियां शामिल थी। फैक्ट शीट में कुछ मुख्य बिंदु बताए गए थे:
‣8 दिसंबर, 2019 को रिपोर्ट किए गए कोरोना के पहले केस से पहले ही वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ता बीमार पड़े थे। उनमें कोविड-19 और मौसमी बीमारियों के लक्षण थे।
‣ वुहान लैब के शोधकर्ता 2016 से बैट कोरोनावायरस RaTG13 के साथ एक्सपेरिमेंट कर रहे थे। ये कोरोनावायरस कोविड-19 से 96.2% मैच करता है।
‣RaTG13 को 2013 में युनान की एक खदान में बैट के मल से लिए गए नमूनों से अलग किया गया था, जहां 2012 में छह खनिकों की मौत हो गई थी।
‣ वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए एनिमल एक्सपेरिमेंट सहित क्लासिफाइड मिमिटरी रिसर्च को अंजाम दिया।
बाइडन पर अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव बन रहा था
हालांकि, सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों की इस रिपोर्ट की वैधता पर सवाल उठाने के बाद, बाइडन प्रशासन ने समय और संसाधनों की बर्बादी बताते हुए स्टेट डिपार्टमेंट की जांच को बंद कर दिया था। लेकिन बाइडन पर अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव बन रहा था कि कोविड-19 की उत्पत्ति प्रकृति में हुई थी। खासकर जब डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट भी वायरस की उत्पत्ति पर जवाब देने में विफल रही। फिर 14 मई को, 18 वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने साइंस जर्नल में लिखा कि इस महामारी की उत्पत्ति के बारे में अधिक स्पष्टता के लिए जांच जरूरी है। उन्होंने दोनों संभावनाओं नेचुरल और लैब लीक पर गंभीरता से विचार करने की मांग की।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दो रिपोर्टें प्रकाशित कीं
23 और 24 मई को वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दो रिपोर्टें प्रकाशित कीं। एक में यूएस इंटेलिजेंस रिपोर्ट को स्टेट डिपार्टमेंट फैक्ट शीट से परे बताया गया और कहा गया कि नवंबर 2019 में वुहान लैब के तीन शोधकर्ता बीमार पड़ गए थे। दूसरी रिपोर्ट युनान कॉपर माइन के बारे में थी जहां छह खनिक बीमार पड़ गए थे। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि गंभीर निमोनिया से ग्रसित खनिकों के फेफड़े में वही धब्बे थे जो कोविड रोगियों में देखे गए थे। अगले साल वुहान लैब के वैज्ञानिकों ने खदान में 276 चमगादड़ों के सैंपलों का अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने इस अध्यन में एक कोरोनावायरस स्ट्रेन की पहचान की जिसे उन्होंने RaBTCoV/4991 कहा। ये रिसर्च 2016 में पब्लिश हुई थी।
RaTG13 का 96.2% जिनोम सिक्वेंस SARS-CoV-2 के साथ मैच
फरवरी 2020 में इन्हीं रिसर्चर्स ने नेचर में एक पेपर प्रकाशित किया। इसमें उन्होंने RaTG13 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसका 96.2% जिनोम सिक्वेंस SARS-CoV-2 के साथ मैच करता है। दुनिया भर के वैज्ञानिकों के सैंपल डेट्स और RaBTCOV/4991 और RaTG13 के पार्शियल जेनेटिक सिक्वेंसेज में समानताएं नोटिस करने के बाद वुहान लैब ने रिसर्चर्स ने कहा कि दोनों वायरस सेम है। लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ये वो वायरस नहीं है जो 2012 में खनिकों की मौत का कारण बना था।
वुहान लैब की दोनों वायरस के समान होने की बात देर से स्वीकारने और उनके स्पष्टीकरण में कुछ विरोधाभासों ने वुहान लैब की डेटा की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। दूसरी ओर वे लोग हैं जो इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि वुहान लैब विभिन्न बैट वायरस के एलिमेंट को मिलाकर नए वायरस बनाने के लिए प्रयोग कर रहा था, शायद टीके खोजने के लिए, और यह गलती से प्रयोगशाला से लीक हो गया। इन सब ने इस चिंता को बढ़ा दिया है कि वायरस की उत्पत्ति पर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पूरी तस्वीर पेश नहीं करती है।
30 मार्च, 2021 को जारी 120 पन्नों की WHO की रिपोर्ट में वायरस की उत्पत्ति के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नही है। लेकिन, इसमें कहा गया था कि बहुत संभावना है कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला। वायरस के किसी लैब से फैलने की आशंका ‘बहुत ही कम’ है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना था कि अभी और शोध की ज़रूरत है। इस रिपोर्ट ने अधिकांश देशों में चिंता पैदा कर दी। अमेरिका और 13 अन्य देशों ने इसे लेकर चिंता जाते हुए वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक बयान भी जारी किया। यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों ने भी कहा कि वायरस की उत्पत्ति की स्टडी करने के लिए और काम करने की आवश्यकता है।
क्या कहा चीन ने?
हालांकि चीन ने अमेरिका की वायरस थ्योरी को लगातार खारिज किया है। इसके साथ ही उसने उलटा अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह वायरस मैरिलैंड में अमेरिकी सेना बेस फोर्ट डेट्रिक से आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषित जांच का उल्लेख करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि जांच बताती है कि अमेरिका का उद्देश्य महामारी का उपयोग पॉलिटिकल मैनुपुलेशन और ब्लेम शिफ्टिंग करने का है। वे विज्ञान के प्रति डिसरिस्पेक्टफुर, लोगों के जीवन के प्रति गैर-जिम्मेदार है।
टाइमलाइन:
31 दिसंबर: डब्ल्यूएचओ को वुहान शहर में अज्ञात कारण से निमोनिया के मामलों की जानकारी दी गई। 7 जनवरी को, चीनी अधिकारियों ने नोवल कोरोनवायरस को निमोनिया के कारण के रूप में पहचाना।
3 फरवरी: नेचर में एक पेपर में, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कहा कि SARS-CoV-2 का बैट कोरोनावायरस RaTG13 के साथ 96.2% जीनोम मैच है। तीन दिन बाद, साउथ चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के एक शोधकर्ता ने एक पेपर में बताया कि कोरोनावायरस शायद वुहान की प्रयोगशाला से ओरिजिनेट हुआ है। हालांकि इस पेपर को बाद में वापस ले लिया गया।
19 फरवरी: द लैंसेट में प्रकाशित एक बयान में, 27 वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने कोरोनावायरस के बारे में कॉन्सपिरेसी थ्योरी की निंदा की और निष्कर्ष निकाला कि इसकी उत्पत्ति वन्यजीवों में हुई है। मार्च में नेचर मेडिसिन में एक पेपर में, वैज्ञानिकों ने कहा कि थ्योरियों को साबित करना या उनका खंडन करना असंभव है, लेकिन वे यह नहीं मानते कि यह एक प्रयोगशाला से निकला है।
27 मार्च: यूएस डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के अपडेटेड असेसमेंट में अनसेफ लेबोरेटरी प्रैक्टिसेज की संभावना को शामिल किया जिस कारण कोरोनवायरस से महामारी फैली।
30 अप्रैल: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि लोग लेबोरेटरी ओरिजिन थ्योरी को मजबूती से देख रहे हैं। तीन दिन बाद, विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने एबीसी न्यूज़ को बताया: ये पहली बार नहीं है कि चीनी प्रयोगशाला में विफलताओं के परिणामस्वरूप दुनिया वायरस के संपर्क में आई है।
4 जुलाई: द टाइम्स की रिपोर्ट है कि SARS-CoV-2 जैसा वायरस 2012 में चीन में एक तांबे की खदान में पाया गया था, और फिर वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में इसका अध्ययन किया गया।
17 नवंबर: बायोएसेज जर्नल ने एक पेपर प्रकाशित किया जिसकी हेडलाइन थी: द जेनेटिक स्ट्रक्चर ऑफ SARS-CoV-2 डज नॉट रूल आउट ए लेबोरेटरी ओरिजिन।
15 जनवरी: यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने ट्रंप के कार्यकाल में कोरोना की उत्पत्ति को लेकर एक फैक्ट शीट को पब्लिक किया। इसमें पहले डिस्क्लोज की गई जानकारी और ओपन सोर्स दोनों जानकारियां शामिल थी। लैब-ओरिजिन थ्योरी को इस फैक्ट शीट ने मजबूत किया।
30 मार्च: डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट पेश की। 30 मार्च, 2021 को जारी 120 पन्नों की रिपोर्ट में वायरस की उत्पत्ति के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नही है। लेकिन, इसमें कहा गया है कि बहुत संभावना है कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला। वायरस के किसी लैब से फैलने की आशंका ‘बहुत ही कम’ है।
14 मई: 18 वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने इस महामारी की उत्पत्ति के बारे में अधिक स्पष्टता स्थापित करने के लिए एक जांच की मांग की। वैज्ञानिकों ने कहा कि नेचुरल और लेबोरेटरी दोनों थ्योरी पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
23-24 मई: वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि नवंबर 2019 में वुहाल लैब के तीन शोधकर्ता बीमार पड़ गए थे। एक अन्य रिपोर्ट 2012 में बीमार पड़े उन खनिकों के बारे में थी जिनके फेफड़ों में कोविड-19 के मरीजों की तरह पैच देखे गए थे।
27 मई: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इंटेलिजेंस एजेंसियों को 90 दिनों के अंदर यह पता लगाने का आदेश दिया है कि कोरोना वायरस कहां से फैला।
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