सत्य को नारायण रूप में पूजना ही भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा है। सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में भगवान श्री सत्यनारायण व्रत कथा है। संसार में नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। जीवन में सत्य व्रत का पालन पूरी निष्ठा से करना चाहिए। जो व्यक्ति इस व्रत पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिनभर उपवास रखना चाहिए। इस व्रत पूजा के प्रसाद का बहुत महत्व है। कहीं भी श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा हो रही हो तो रुककर प्रसाद अवश्य ग्रहण करें। इस प्रसाद से हर प्रकार का कष्ट दूर होता है।
भगवान श्री हरि विष्णु समस्त जग के पालनहार हैं। भगवान श्री सत्यनारायण का व्रत रखने और उनकी कथा सुनने से सभी कष्ट मिट जाते हैं। भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा से सत्याचरण का व्रत लेना चाहिए। इस व्रत में उपवास का विशेष महत्व है। उपवास के समय हृदय में धारणा होनी चाहिए कि भगवान श्री सत्यनारायण हमारे पास ही विराजमान हैं। इस व्रत से हमें शिक्षा मिलती है कि हम सब सत्य के ही स्वरूप हैं। जीवन में सुख, शांति और संपन्नता के लिए भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पूर्णिमा या संक्रांति के दिन इस व्रत को करने से विशेष फल प्राप्त होता है। भगवान श्री सत्यनारायण की पूजा से घर में शांति, सुख, समृद्धि आती है। संतान को लेकर भी यह व्रत बहुत शुभ माना जाता है। आयु रक्षा तथा स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में इस पूजा से विशेष लाभ होता है। भगवान सत्यनारायण की पूजा से शिक्षा, करियर, वित्त, कारोबार, विवाह से जुड़ी समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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