पाकिस्तान नेशनल असेंबली ने गुरुवार को इंटरनेशनल कोर्ट (समीक्षा और पुर्नविचार) अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी है. इस अध्यादेश के बाद अब पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सजा के खिलाफ किसी भी हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार मिल गया है.
इमरान खान सरकार द्वारा इंटरनेशनल कोर्ट के फैसले को प्रभावी बनाने में ‘समीक्षा और पुनर्विचार’ के अधिकार को प्रदान करने के लिए नेशनल असेंबली में बिल पेश किया गया था. इस “इंटरनेशनल कोर्ट (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश, 2020” को स्वीकृति मिल गई है.
इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ) ने जुलाई 2019 में दिए एक फैसले में कहा था कि पाकिस्तान को जाधव की सजा की ‘प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार’ करना चाहिए. साथ ही और कोई देरी किए बिना भारत को राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए. वहीं, भारत इस मामले में स्वतंत्र और न्यायपूर्ण सुनवाई के लिए भारतीय वकील की नियुक्ति की मांग करता रहा, लेकिन पाकिस्तान बार-बार ठुकराता रहा है.
क्या है पूरा मामला
मार्च 2016 में पकड़े गए पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को जासूस करार देते हुए पाकिस्तान ने सैन्य अदालत में कोर्ट मार्शल कर सजा-ए-मौत सुना दी थी. इसके खिलाफ भारत ने 2017 में अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था. मामले पर जुलाई 2019 में दिए फैसले में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाक को 1963 की वियना संधि के उल्लंघन का दोषी करार दिया था. क्योंकि गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान ने न तो कुलभूषण जाधव को उसके अधिकारों के बारे में बताया और न ही भारतीय अधिकारियों को काउंसलर संपर्क की इजाजत दी थी. इसके अलावा सैन्य अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए भी न तो कोई प्रावधान स्पष्ट किया था और न ही उसकी व्यवस्था बनाई थी.
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