डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ट्विटर इंक के भारत में उनके स्टाफ की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करने के बाद केंद्र सरकार का जवाब आया है। केंद्र सरकार ने ट्विटर के इस बयान का यह कहते हुए खंडन किया कि सोशल मीडिया इंटरमीडियरी का स्टेटमेंट दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को अपनी शर्तों को डिक्टेट करने का प्रयास है। ट्विटर देश की कानूनी व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने कहा कि ट्विटर को यहां वहां की बात न करते हुए देश के कानूनों का पालन करने की जरुरत है। कानून बनाना और नीति तैयार करना संप्रभु का एकमात्र विशेषाधिकार है और ट्विटर सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है और भारत की कानूनी नीति की रूपरेखा क्या होनी चाहिए, यह तय करने में इनका कोई स्थान नहीं है।
इससे पहले दिन में ट्विटर ने कहा था, हमारी सर्विस पब्लिक बातचीत और कोरोना महामारी में लोगों के सपोर्ट के लिए काफी उपयोगी साबित हुई है। अपनी सर्विस को जारी रखने के लिए हम भारत में नए लागू कानून का पालन करने का प्रयास करेंगे। लेकिन, जैसा हम दुनियाभर में करते हैं वैसे ही हम यहां भी ट्रांसपेरेंसी पर फोकस रखेंगे।
हम हर आवाज को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे। हम भारत में अपने कर्मचारियों के साथ हुए हाल की घटनाओं और जिन लोगों को हम सर्विस देते हैं उनके फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन से चिंतित है।
बता दें कि, दिल्ली पुलिस टूलकिट मामले में नोटिस देने के लिए सोमवार को ट्विटर के ऑफिस में पहुंची थी। दिल्ली पुलिस का कहना है कि वो एक शिकायत की जांच कर रही है, जिसमें संबित पात्रा के ट्वीट को मैनुपुलेटिव फ्लैग करने पर सफाई मांगी गई है। पुलिस का कहना है कि लगता है ट्विटर के पास ऐसी कोई जानकारी है, जो हमारे पास नहीं है, जिसकी वजह से उन्होंने संबित पात्रा के ट्वीट को मैनुपुलेटेड करार दिया था।
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