कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान पिछली बार की तरह बड़े राहत पैकेज की उम्मीद कम है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों से हिन्दुस्तान को मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की हालात पर पैनी नजर बनी हुई है और जल्दबाजी में पैकेज के ऐलान के बजाए सारी परिस्थितियों का आंकलन करने के बाद ही कोई आर्थिक राहत दी जाएगी।
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक खुद वित्त मंत्री अलग-अलग औद्योगिक संगठनों से बातचीत के जरिए हालात पर नजर बनाए हुए हैं। साथ ही उद्योग जगत के लोगों से अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से भी फीडबैक लगातार आ रहे हैं। मंत्रालय में इन सभी पर विचार किया जा रहा है और आने वाले दिनों में एक एक करके सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर की पहले मदद की जाएगी ताकि आर्थिक रफ्तार को तेजी मिल सके।
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कारोबारियों ने सरकार और रिजर्व बैंक दोनों से अतिरिक्त कर्ज और मौजूदा लोन पर मोरटोरियम देने की मांग करनी शुरू कर दी है, लेकिन वित्तमंत्रालय किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले कुछ दिन और हालात का आंकलन करना चाहता है। केंद्र सरकार का पूरा फोकस फिलहाल लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी जरूरी सुविधाएं पहुंचाने पर है। साथ ही जरूरतमंदों को अनाज जैसी सुविधाएं पहुंचाने पर भी काम चालू किया जा रहा है। वित्त मंत्रालय की तरफ से मार्च महीने में जारी की गई आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में आर्थिक मामलों के विभाग की तरफ से कहा गया था कि कोरोना के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए सिस्टम तैयार है और इसके बावजूद भी आर्थिक रिकवरी जारी रहेगी।
आर्थिक गतिविधियां हो रहीं प्रभावित
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पूरे देश में भले ही लॉकडाउन न लगा हो लेकिन राज्यों में लगातार बढ़ते कोरोना के नए मामलों से प्रतिबंधों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन प्रतिबंधों से सबसे ज्यादा आर्थिक गतिविधियां ही प्रभावित हो रही हैं। इन परिस्थितियों में सिर्फ जरूरी चीजों को छोड़ दें तो बाकी जगहों पर न तो नए ऑर्डर मिल रहे हैं और न ही पुराने ऑर्डरों की डिलिवरी ली जा रही है।
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