भारतीय रेल ने साल 2020-21 में कोरोना महामारी की विषम परिस्थितियों के बीच माल ढुलाई राजस्व में बीते साल का रिकॉर्ड तोड़ कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इतना ही नहीं इस दौरान मालगाड़ियों की गति भी लगभग दोगुनी की गई है। रेलवे ने इसे आगे भी बरकरार रखने के लिए कार्ययोजना तैयार की है।
भारतीय रेल ने कोरोना काल में जब यात्री रेलगाड़ियां बंद हो गई थी, तब माल भाड़ा राजस्व पर अपना ध्यान केंद्रित किया और न केवल मालगाड़ियों की संख्या बढ़ाई बल्कि उनकी गति में भी बदलाव किया, ताकि ज्यादा से ज्यादा माल ढुलाई को आकर्षित किया जा सके। सूत्रों के अनुसार इसकी पहल रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खुद की और उन्होंने साफ निर्देश दिए कि जब यात्री ट्रेन नहीं चल रही है तब मालगाड़ियों को धीमी गति से क्यों चलाया जा रहा है?
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि यह सब रेलवे की मानसिकता में आए बदलाव का नतीजा है। अब जबकि 70 फ़ीसदी यात्री ट्रेनें शुरू हो गई है तब भी मालगाड़ियां अपनी बढ़ी हुई गति पर चल रही हैं। इस बीच समर्पित मालवहन गलियारे (डीएफसी) के शुरू होने से भी माल ढुलाई में तेजी आई है। रेलवे ने उन क्षेत्रों, खासकर खाद्यान्न परिवहन में काफी बढ़त हासिल की है।
रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020-21 में रेलवे ने 123.26 करोड़ टन माल ढुलाई की है जो कि बीते साल 2019-20 के 120.93 करोड़ टन से 1.93 फीसदी ज्यादा है। इस दौरान रेलवे ने राजस्व में भी 3% की वृद्धि दर्ज की है। 2020-21 में माल भाड़ा का राजस्व 11,73,86 करोड रुपये रहा जो कि बीते साल के 1138,97.20 करोड़ से ज्यादा रहा। खास बात यह है कि रेलवे ने आखिरी 7 महीनों में सितंबर से लेकर मार्च 2021 तक लगातार माल ढुलाई के नए रिकॉर्ड बनाए। रेलवे इस प्रगति को आगे भी जारी रखने के लिए तैयारी कर रहा है।
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