कोरोना का कहर: वैक्सीन की दोनों डोज लेने के 15 दिन बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोरोना संक्रमित, इलाज के लिए एम्स में भर्ती

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सोमवार को कोविड के सकारात्मक परीक्षण के बाद एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। सूत्रों के मुताबिक उन्हें ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। खास बात ये है कि पूर्व PM कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे। उन्हें स्वदेशी कोवैक्सिन का पहला शॉट 3 मार्च और बूस्टर डोज 4 अप्रैल को दिया गया था। इस लिहाज से वे दूसरे डोज के बाद 2 हफ्ते का समय भी पूरा कर चुके थे।

बता दें कि रविवार को मनमोहन सिंह ने कोरोना संकट को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी के जरिए उन्होंने सरकार को कई सुझाव दिए थे। फिलहाल पूर्व पीएम खुद कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और प्रियंका गांधी सहित कई नेताओं ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि मनमोहन सिंह जी, आपके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना। भारत को इस कठिन समय में आपके मार्गदर्शन और सलाह की आवश्यकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा कि अभी-अभी खबर मिली है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोविड का सकारात्मक परीक्षण किया गया है। आपके जल्दी ठीक होने के लिए हमारी प्रार्थना।

मनमोहन ने रविवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना से निपटने के लिए 5 सुझाव दिए थे। उन्होंने मोदी को चिट्ठी लिखकर यूरोप और अमेरिका में अप्रूवल पा चुकी वैक्सीन को देश में ट्रायल की शर्त के बिना इस्तेमाल की मंजूरी देने को कहा था।​​​​​​ साथ ही वैक्सीनेशन ड्राइव में तेजी लाने और विदेशी कंपनियों से वैक्सीन मंगवाने के लिए एडवांस ऑर्डर देने की सलाह भी दी थी।

मोदी को मनमोहन की 5 सलाहें

1. सरकार को लोगों को बताना चाहिए कि किन वैक्सीन प्रोड्यूसर्स को कितने डोज के ऑर्डर दिए गए हैं और अगले 6 महीने तक इनकी सप्लाई के लिए कितने ऑर्डर स्वीकार किए गए हैं। अगर हमें इन 6 महीनों के दौरान किसी निश्चित जनसंख्या को वैक्सीन लगानी है तो इसके लिए हमें एडवांस में ऑर्डर देने चाहिए, ताकि वैक्सीन सप्लाई होने में परेशानी न आए।

2. सरकार को यह बताना चाहिए कि ये सब कैसे किया जाएगा और सभी राज्यों में वैक्सीन किस हिसाब से बांटी जाएगी। केंद्र सरकार राज्यों को 10 प्रतिशत वैक्सीन की डिलीवरी इमरजेंसी के तौर पर कर सकती है। इसके बाद वैक्सीन की डिलीवरी होने पर आगे की सप्लाई की जाए।

3. राज्यों को फ्रंटलाइन वर्कर्स तय करने में थोड़ी सहूलियत देनी चाहिए ताकि 45 से कम उम्र होने पर भी उन्हें वैक्सीन लगाई जा सके। उदाहरण के तौर पर हो सकता है टीचर्स, बस-टैक्सी-थ्री व्हीलर चलाने वालों, नगर पालिका और पंचायत के स्टार और वकीलों को फ्रंट लाइन वर्कर्स घोषित करना चाहते हों। ऐसे में उन्हें 45 साल से कम उम्र होने पर भी वैक्सीन लगाई जा सकेगी।

4. पिछले कुछ दशकों से भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन प्रोड्यूसर बनकर उभरा है। खासतौर पर निजी क्षेत्र में। इसकी वजह सरकार द्वारा अपनाई गईं पॉलिसी हैं। इस इरजेंसी के हालत में सरकार को वैक्सीन प्रोड्यूसर्स को प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सहूलियतें और रियायतें देनी चाहिए। कानून में लाइसेंस के नियम को फिर से शुरू करना चाहिए ताकि कंपनियां इसके तहत लाइसेंस हासिल कर प्रोडक्शन शुरू कर सकें। एड्स जैसी बीमारी से लड़ते वक्त पहले भी ऐसा किया जा चुका है। कोविड की बात करें तो मैंने ये पढ़ा है कि इजरायल ने कम्पल्सरी लाइसेंस प्रोविजन को लागू कर दिया है। भारत में बढ़ते कोरोना केस देखते हुए, यहां भी इसे लागू करना चाहिए।

5. स्वदेशी वैक्सीन की सप्लाई सीमित है। ऐसे में यूरोपियन मेडिकल एजेंसी और USFDA जैसी विश्वसनीय एजेंसियों ने जिन वैक्सीन को अप्रूवल दिया है, उन्हें घरेलू ट्रायल जैसी शर्त के बिना मंगवाया जाए। मुझे लगता है कि इमरजेंसी के हालात को देखकर एक्सपर्ट भी इसे जायज ही मानेंगे। ये सहूलियत निश्चित समयसीमा के लिए ही होगी, जिसके भीतर भारत में ब्रिज ट्रायल पूरे कर लिए जाएंगे। जिन लोगों को ये वैक्सीन लगवाई जाए, उन्हें भी इस संबंध में जानकारी दी जाए कि इन्हें विदेश में विश्वसनीय एजेंसियों ने अप्रूवल दिया है।

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