कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के हावी होने की बढ़ी आशंका, 85 देशों में सामने आए मामले

0
8
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि अगर मौजूदा चलन जारी रहता है तो कोविड-19 के सबसे अधिक संक्रामक प्रकार डेल्टा के अन्य वैरिएंटों के मुकाबले हावी होने की आशंका है. डब्ल्यूएचओ की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब 85 देशों में इस वैरिएंट के मिलने की पुष्टि हुई है और दुनिया के अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आते जा रहे हैं. डब्ल्यूएचओ की ओर से 22 जून को जारी कोविड-19 साप्ताहिक महामारी विज्ञान अपडेट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर, अल्फा वैरेंट 170 देशों, क्षेत्रों या इलाकों में मिला है, बीटा वैरिएंट 119 देशों में, गामा वैरिएंट 71 देशों में और डेल्टा वैरिएंट का 85 देशों में पता चला है.


अपडेट में कहा गया, “डेल्टा, दुनिया भर के 85 देशों में मिला है, डब्ल्यूएचओ के अंतर्गत सभी क्षेत्रों के अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आने का चलन जारी है, जिनमें से 11 क्षेत्रों में ये पिछले दो हफ्तों में सामने आए.’’ डब्ल्यूएचओ ने कहा कि चार मौजूदा ‘चिंताजनक वैरिएंट’ – अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा पर करीब से नजर रखी जा रही है जो बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं और डब्ल्यूएचओ के अंतर्गत आने वाले सभी क्षेत्रों में उनका पता चला है. इसने कहा, “डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट से कहीं ज्यादा संक्रामक है और अगर मौजूदा चलन जारी रहता है तो इसके अधिक हावी होने की आशंका है.’’ अपडेट में बताया गया कि पिछले हफ्ते (14 जून से 20 जून) कोविड के नये मामले सबसे अधिक 4,41,976 भारत से सामने आए. यह उससे पिछले हफ्ते की तुलना में 30 प्रतिशत कम हैं. मौत के सर्वाधिक मामले भी भारत से ही सामने आए (16,329 लोगों की मौत, प्रति एक लाख पर 1.2 लोगों की मौत, 31 प्रतिशत की कमी).


साउथ-ईस्ट एशिया में करीब 6 लाख नए मामले आए सामने


साउथ- ईस्ट एशिया में करीब 6 लाख नए मामले आए और 19,000 लोगों की मौत हुईं, जो उससे पिछले हफ्ते की तुलना में क्रमश: 21 प्रतिशत और 26 प्रतिशत कम है. अपडेट में कहा गया कि क्षेत्र में साप्ताहिक मामले कम होने और मौत की संख्या घटने का चलन मुख्यत: भारत में मामले घटने से जुड़ा हुआ है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि आठ जून को अंतिम विस्तृत अपडेट के बाद से, डेल्टा वैरिएंट के प्रारूपी विशेषताओं पर नये साक्ष्य प्रकाशित हुए हैं. इसने कहा, “सिंगापुर के एक अध्ययन में पाया गया कि डेल्टा वैरिएंट से जुड़ा संक्रमण ऑक्सीजन की जरूरत, गहन देखभाल कक्ष (आईसीयू) में भर्ती कराने की आवश्यकता या मौत होने की आशंकाओं से संबंधित है.” वहीं, जापान के एक अध्ययन में भी पाया गया कि डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है.


कोरोना वैक्सीन के प्रभाव क्षमता की हुई जांच 


टीके की दूसरी खुराक लेने के 14 दिन बाद डेल्टा और अल्फा वैरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने की नौबत न आए इसके लिए फाइजर और बायोएनटेक-कोमिरनेटी की प्रभाव क्षमता 96 प्रतिशत और 95 प्रतिशत और एस्ट्राजेनेका-वैक्सजेवरिया की क्रमश: 92 प्रतिशत और 86 प्रतिशत देखी गई है. टीके की एक खुराक लेने के 21 दिन बाद भी इन टीकों की डेल्टा और अल्फा वैरिएंट के खिलाफ प्रभाव क्षमता 94 प्रतिशत और 83 प्रतिशत देखी गई.


ये भी पढ़ें:-


15 साल बाद ट्रेन में सफर करेंगे भारत के कोई राष्ट्रपति, जानिए रामनाथ कोविंद कहां-कहां जाएंगे


गाजियाबाद मामला: ट्विटर के अधिकारियों की थाने में पेशी आज, पुलिस कर सकती है बड़ी कार्रवाई



Source link

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here