कोरोना से निपटने में क्या अमेरिकी सलाह पर अमल करेगी मोदी सरकार?

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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति के मुख्य स्वास्थ्य सलाहकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारत को जो सलाह दी है,उस पर हमारी मोदी सरकार को न सिर्फ गौर करना चाहिए बल्कि तेजी से अमल भी करना चाहिए.  सलाहकार डॉ. एंथनी फॉसी ने कहा है कि टीकाकरण ही इसका दीर्घकालीन उपाय है, लिहाज़ा इसमें जितनी ज्यादा तेजी लाई जाएगी उतना ही बेहतर होगा. लेकिन संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन को कारगर बताते हुए उन्होंने यह भी आगाह किया है कि भारत को इस वक़्त उसी तेजी से अस्थायी अस्पताल बनाने चाहिए,  जैसा चीन ने पिछले साल अपने यहां किया था.

एक अमेरिकी न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में डॉ. फॉसी ने कहा है कि दुनिया में कोरोना वैक्सीन बनाने वाला भारत सबसे बड़ा देश है, जिसके पास अपने संसाधनों के अलावा बाहरी विकल्प भी मौजूद हैं, इसलिए उसे वैक्सीन की उत्पादन क्षमता को इतना बढ़ाना होगा कि देश की बड़ी आबादी का टीकाकरण जल्द हो सके. हालांकि हमारे यहां जमीनी हकीकत इसके उलट है क्योंकि उतनी वैक्सीन का उत्पादन ही नहीं हो पा रहा है,  जितनी हर रोज की जरुरत है.

भारत के अस्पतालों में बेड न मिलने से सड़कों पर लेटे मरीजों के दृश्यों को देख व ऑक्सीजन की भारी किल्लत पर अपना अफसोस जताते हुए डॉ. फॉसी ने कहा, “मैं यह देख-सुनकर हैरान हूं कि इतने बड़े देश में आखिर ये सब क्या हो रहा है. भारत को इस कमी को फोरन दूर करने की जरुरत है.”

अमेरिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य का लंबा अनुभव रखने वाले 80 बरस के डॉ.फॉसी के मुताबिक, “इस महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन तो एक कारगर उपाय है ही लेकिन संक्रमण के फैलाव पर काबू पाने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाना भी मजबूत हथियार है. मैं पहले भी भारत सरकार को यह सलाह दे चुका हूं कि इसके बगैर आप संक्रमण की चेन नहीं तोड़ सकते.हालांकि कुछ राज्यों ने इस पर अमल किया है लेकिन अगर इसे पूरे देश में समान रुप से लागू किया जाये, तो यह ज्यादा प्रभावशाली होगा.”

इसमें कोई शक नहीं कि डॉ. फॉसी की सलाह में दम है लेकिन भारत जैसे मुल्क में कुछ हफ्तों का लॉकडाउन लगाने का मतलब गरीबों के लिए तो भुखमरी वाले हालात पैदा करना है ही लेकिन साथ ही छोटे व्यापार व उद्योगों की कमर तोड़ना भी है. इसीलिए हर तरफ से ये आवाज उठती रही है कि मोदी सरकार ऐसा सख्त कदम उठाने से पहले इन लोगों की आर्थिक मदद का इंतज़ाम करे. यहां तक कि WHO की मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. सौम्या स्वामीनाथन को भी यह कहना पड़ा है कि भारत को यह फैसला लेने से पहले गरीबों की वित्तीय मदद का प्रबंध करना होगा, अन्यथा हालात और बदतर हो जायेंगे.

गौरतलब है कि डॉ. फॉसी ने पिछले हफ़्ते भी भारत में संपूर्ण लॉकडाउन लगाने पर जोर देते हुए कहा था कि सरकार को अपनी सेना के तीनों अंगों को अस्थायी अस्पताल बनाने के काम पर लगा देना चाहिए. इसके लिए उन्होंने अन्य देशों से जरुरी स्वास्थ्य सामग्री की मदद करने के साथ ही अपने सैनिकों को भी भारत भेजने की अपील की थी.

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