डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। भारत बायोटेक कोवैक्सिन की रियल-वर्ल्ड इफेक्टिवनेस यानी वैक्सीनेट हो चुके लोगों में टीके के असल असर की जांच करने के लिए फेज-4 क्लीनिकल ट्रायल कंडक्ट करेगी। कंपनी के अनुसार, फेज-4 ट्रायल न केवल रियल-वर्ल्ड इफेक्टिवनेस की जांच करने में मदद करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि यह सभी वैज्ञानिक और सुरक्षा मानकों पर कितनी खरी है। वहीं कंपनी फेज-3 स्टडी के फाइनल एनालिसिस डेटा के प्राप्त होने के बाद कोवैक्सिन के लिए फुल लाइसेंस का आवेदन भी करेगी।
हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता ने यह भी कहा कि कोवैक्सिन के फेज-3 ट्रायल का पूरा डेटा सबसे पहले सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद इसे पीयर रिव्यूड जर्नल्स में प्रकाशित किया जाएगा फिर जुलाई में इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। भारत बायोटेक फेज-3 स्टडी के फाइनल एनालिसिस का डेटा उपलब्ध होने के बाद कोवैक्सिन के लिए पूर्ण लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा। भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की तरफ से घोषित अंतरिम डेटा के मुताबिक कोवैक्सिन फेज-3 ट्रायल्स में कुल मिलाकर 78 प्रतिशत असरदार पाई गई।
बता दें कि भारत बायोटेक का ये बयान उस स्टडी के बाद आया है जिसमें कोवैक्सिन को कोविशील्ड के मुकाबले कम असरदार बताया गया था। कोलकाता-बेस्ड एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉक्टर अवधेश कुमार सिंह ने कोविशील्ड और कोवैक्सिन के इम्यून रेस्पॉन्स की तुलना करते हुए यह स्टडी की थी। स्टडी के मुताबिक, कोवैक्सिन के मुकाबले कोविशील्ड शरीर में ज्यादा एंटीबॉडी बना रही है। इस स्टडी को लेकर डॉक्टर अवधेश कुमार सिंह और भारत बायोटेक के बिजनस डिवेलपमेंट हेड रैच्स एल्ला के बीच ट्विटर वॉर भी देखने को मिला। भारत बायोटेक ने इस स्टडी को अवैज्ञानिक और पूर्वाग्रह पर आधारित बताकर खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि देश में फिलहाल कोरोना की तीन वैक्सीन मौजूद है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है। दूसरी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सिन है। तीसरी रूस की वैक्सीन स्पुतनिक है। ऐसे में भारत बायोटेक ने कहा कि जनवरी मध्य से ही वैक्सीनेशन जारी है और अब तक कोवैक्सिन के लाखों डोज लगाए जा चुके हैं। इसलिए जल्द ही हमारे पास एक विश्वसनीय और विशाल डेटा मौजूद होगा।
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