कोरोना वायरस के फैलने के पीछे क्या वजह है, ये अभी भी स्पष्ट नहीं है और अभी तक पर्याप्त सबूत नहीं है अंतिम तौर से कहने के लिए कि ये स्वाभाविक रूप से हुआ या लैब लीक की वजह से. अग्रणी वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने चिट्ठी में इस मुद्दे को गंभीरता से लिए जाने की मांग की गई है. उन्होंने गलत साबित करने के लिए कठोर डेटा-आधारित जांच की जरूरत बताई है. उनका कहना है कि कोरोना वायरस के प्रयोगशाला से आकस्मिक फैलने की घटना को खारिज नहीं किया जा सकता. वैज्ञानिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीन को क्लीन चिट देने पर आश्वस्त नहीं हैं.
कोरोना वायरस की उत्पत्ति की आगे जांच की जरूरत
18 वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी भी अधिक जांच करने की जरूरत है जिससे महामारी की उत्पत्ति को निर्धारित किया जा सके. गौरतलब है कि नोवेल कोरोना वायरस 2019 के अंत में चीन में उजागर हुआ था. उसने लाखों लोगों की जिंदगी छीन ली है और करोड़ों लोगों को बीमार कर दिया है. इसके अलावा, दुनिया की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है.
चिट्ठी के लेखकों ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वायरस की उत्पत्ति के सिलसिले में जांच पर संदेह जताया है. चीनी वैज्ञानिकों के साथ संयुक्त रूप से लिखी गई अपनी अंतिम रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम ने कहा है कि वायरस का ट्रांसमिशन शायद चमगादड़ों से इंसानों में दूसरे जानवरों के जरिए हुआ हो और एक कारण के रूप में ‘अत्यंत संभावना’ नहीं है कि ये लैब से फैला.
18 अग्रणी वैज्ञानिकों की टीम ने चिट्ठी लिख की मांग
डब्ल्यूएचओ के खाद्य सुरक्षा एवं जंतु रोग विशेषज्ञ पीटर बेन एम्बारेक ने कहा था कि चीन की प्रयोगशाला से कोरोना वायरस के फैलने की आशंका नहीं है. कोरोना वायरस के पीछे साजिश को माननेवालों समेत उत्पत्ति के बारे में विभिन्न विचार सामने आए थे. आपको बता दें कि टीम ने जनवरी और फरवरी में वुहान में चार सप्ताह बिताए थे. वैज्ञानिकों ने कहा कि हमारे पास पर्याप्त डेटा उपलब्ध होने तक लैब और स्वाभाविक दोनों परिकल्पना को गंभीरता से लेना चाहिए. उन्होंने मांग की कि बौद्धिक रूप से कठोर और निष्पक्ष जांच होने की जरूरत है. 18 अग्रणी वैज्ञानिकों की टीम में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट रविंद्र गुप्ता भी शामिल हैं.
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