क्रिसिल का आकलन, कोरोना की छोटी पाबंदियों से भी कारोबारियों का टूट रहा हौसला 

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रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों की वजह से इकनॉमी में भारी गिरावट की आशंका जाहिर की है. लोगों की आवाजाही में कमी, कुछ कारोबारों की बंदी, बिजली की खपत में कमी और ई-वे जीएसटी बिल कलेक्शन में कमी को रेटिंग एजेंसी ने इकनॉमी में गिरावट का संकेत माना है. रिपोर्ट में तेजी से वैक्सीनेशन अभियान चलाने की अपील की गई है.

वैक्सीनेशन की रफ्तार करनी होगी तेज 

रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा राज्यों में कोरोना संक्रमण फैलता जा रहा है,  लोगों और कारोबारों पर पाबंदियां बढ़ती जा रही हैं. राज्यों में प्रतिबंधों और छोटे लॉकडाउन का असर आर्थिक गतिविधियों पर दिखने लगा है.  रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि लोगों की आवाजाही और कुछ कारोबारी क्षेत्रों में सीमित अंकुश की बावजूद आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक दिख रहा है. बिजली की खपत और ई- जीएसटी बिल कलेक्शन पहले की तुलना में धीमा पड़ा है. हालांकि राहत की बात यह कि मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन की गतिविधियां जारी हैं. क्रिसिल ने कहा है कि वैक्सीनेशन की गति काफी तेज करनी होगी तभी अर्थव्यवस्था को संभाल पाएंगे.

लॉकडाउन लगा तो बंद हो जाएंगे हजारों कारोबार 

दूसरी ओर रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का मानना है कि आर्थिक गतिविधियों  पर रोक लगाने से कारोबार हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे. एक बार फिर लाखों लोगों की नौकरियां चली जाएंगीं. संगठन ने कहा है कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान ऐसे ही हालात पैदा हुए थे.  ऐसे में आवश्यक या गैर आवश्यक खुदरा कारोबार और मॉल में सख्त निगरानी के तहत काम करने की अनुमति मिले. इस बीच, घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने दूसरी लहर के बढ़ते असर को देखते हुए जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान में कटौती की है. इक्रा का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 10 से 10.5 फीसदी रह सकती है. इससे पहले इस रेट के 10 से 11 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. 

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