ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ। इस दिन पतित पावनी मां गंगा के स्मरण मात्र से ही मनुष्य के सभी पापों का अंत हो जाता है। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन मां गंगा में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। कहा जाता है कि इस दिन रामेश्वरम में भगवान श्रीराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी।
गंगा स्नान करने न जा पाएं तो घर में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। सूर्यदेव को अर्घ्य दें। मां गंगा का स्मरण करें। गंगा मैया की आराधना करें। इस दिन पितरों की आत्मा शांति के लिए कामना करें। गंगा दशहरा के दिन पानी से भरे मिट्टी के मटके का दान करें। इस दिन जिस भी चीज का दान करते हैं वो संख्या में 10 होनी चाहिए। मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन अनार का पेड़ लगाने से आर्थिक तंगी दूर होती है। इसे घर के अंदर ना लगाएं। इस दिन शर्बत, पानी और मौसमी फल का दान करें। इस दिन घर में गंगाजल अवश्य छिड़कें। ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है। मान्यता है कि इस दिन गंगाजल के स्पर्श मात्र से ही अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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