पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि होते हैं। दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि। मौसम की संधियों में वासंतिक नवरात्रि चैत्र के महीने में और शारदीय नवरात्रि आश्विन के महीने में आते हैं। लेकिन गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ के महीने में आते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रों में देवी मां की शक्तियों को अपने अन्दर समाहित करने के लिए उनकी अराधना करने के लिए विशिष्ट आयोजन किए जाते हैं। इन गुप्त नवरात्रों में साधक दुर्गा मां की विशिष्ट अराधना करते हैं। इन नवरात्रों का आम लोग भी लाभ उठा सकें, इसलिए दुर्गा मां की आराधना करने के लिए आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि महत्वपूर्ण है। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई 2021 रविवार से शुरू हो रही हैं जो 18 जुलाई रविवार तक रहेंगे। नवरात्रि के इन नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में देवी को विभिन्न प्रकार के भोग भी लगाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस उपाय से साधक (उपाय करने वाला) की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। जानिए किस तिथि को देवी को किस चीज का भोग लगाना चाहिए-
ये हैं गुप्त नवरात्रि के अचूक उपाय-
– प्रतिपदा तिथि को माता को घी का भोग लगाएं। इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती हैं एवं शरीर निरोगी होता है।
– द्वितीया तिथि को माता को शक्कर का भोग लगाएं। इससे उम्र लंबी होती है।
– तृतीया तिथि को माता को दूध का भोग लगाएं। इससे सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति मिलती है।
– चतुर्थी तिथि को माता को मालपुआ का भोग लगाएं। इससे समस्याओं का अंत होता है।
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– पंचमी तिथि को माता को केले का भोग लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
– षष्ठी तिथि को माता को शहद का भोग लगाएं। इससे धन लाभ होने के योग बनते हैं ।
– सप्तमी तिथि को माता को गुड़ का भोग लगाएं। इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
– अष्टमी तिथि को माता को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
– नवमी तिथि को माता को विभिन्न प्रकार के अनाज का भोग लगाएं। इससे वैभव एवं यश मिलता है।
रवि पुष्यामृत योग: 11 जुलाई 2021 रविवार को सूर्योदय से रात्रि 02:22 तक रविपुष्यमृत योग है। 108 मोती की माला लेकर जो श्रद्धापूर्वक गुरुमंत्र का जप करता है तो 27 नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं क्योंकि नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु बृहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ाने वाला है। उस दिन बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिये । बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए गुरु का सेवा, सत्कार, सम्मान करना चाहिए। 11 जुलाई को रविपुष्यामृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और श्रीवत्स योग हैं। इन दिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है जो शुभ कार्य में अच्छी नहीं मानी जाती है क्योंकि अमावस्या के बाद जो प्रतिपदा होती है उसमें चंद्रमा क्षीण होते हैं किंतु 11 जुलाई को प्रतिपदा प्रातः 7:45 बजे तक ही है। उसके बाद द्वितीया तिथि आ जाएगी जो इस रवि पुष्य योग को और प्रबल बना देगी । इस शुभ योग में गृह प्रवेश, नींवपूजन नवीन व्यवसाय आरंभ करना, शुभ मुहूर्त करना,सोना चांदी ,ज्वैलरी खरीदना बहुत शुभ होता हैं।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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