डिजिटल डेस्क, लखनऊ। विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की सियासत उतार चढ़ाव से गुजर रही है। चुनाव से चंद महीने पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव गोमती रिवरफ्रंट मामले में घिरते नजर आ रहे हैं। इस पुराने मामले पर अब सीबीआई का शिकंजा कसता नजर आ रहा है।
सोमवार को सीबीआई ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में लखनऊ, नोएडा ,देहरादून से लेकर आगरा में एक साथ 40 अलग -अलग ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कार्रवाई की है। बताया जा रहा है सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग की तरफ से यह बड़ी कार्रवाई है। बता दें, शुक्रवार को रिवर फ्रंट घोटाले में करीब 190 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद से इस कार्रवाई को बड़ी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक उत्तरप्रदेश में लखनऊ के अलावा, नोयडा, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा और आगरा में छापेमारी की जा रही है। इसके अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी एक साथ छापेमार कार्रवाई जारी है।
उल्लेखनीय है कि रिवर फ्रंट घोटाले के आरोप लंबे समय से समाजवादी सरकार पर लगते रहे हैं। बीजेपी की तरफ से एक बयान में कहा गया कि यह घोटाला सपा पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के कार्यकाल में हुआ था। उस दौरान लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए समाजवादी सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए थे। जिसमे से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च कर दिए लेकिन काम पूरा नहीं हुआ था।
ज्ञात हो, विधानसभा चुनाव के दौरान 2017 में भाजपा सरकार आने पर मामले की जांच कराने की बात कही गई थी। सत्ता में बीजेपी सरकार आने के बाद से कई अफसरों के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। मामले में अब फिर से छापेमारी का दौर शुरू हो चुका है।
योगी सरकार ने चार साल पहले घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। उससे पहले अप्रैल 2017 में राज्य सरकार ने रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे। जांच के बाद गोमती नगर थाने में कई अधिकारियों के खिलाफ कमेटी ने मुकदमा (FIR)दर्ज कराया था। उसी एफआईआर को आधार बनाकर सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की थी। जिसमें एक इंजीनियर की गिरफ्तारी हुई है। गिरफ्तार हुए इंजीनियर का नाम रूप सिंह बताया जा रहा है। रिवर फ्रंट परियोजना के तहत अकेले सिंचाई विभाग ने 800 से अधिक टेंडर जारी किए थे। इनमें नियमों को दरकिनार कर ठेकेदारों को काम दिया गया था। उस समय लखनऊ खंड शारदा नहर के अधिशासी अभियंता रूप सिंह के खिलाफ सीबीआई को पर्याप्त सुबूत मिले थे।
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