गौतम अडानी की कंपनी को बड़ा झटका, सेबी ने IPO पर लगाई रोक
अडानी विल्मर लिमिटेड को मार्केट रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, गौतम अडानी समूह की इस कंपनी के प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) को सेबी ने रोक दिया है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वेबसाइट पर बताया है कि अडानी विल्मर के ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस पर टिप्पणियों को जारी करने पर रोक लगा दी गई है। आमतौर पर ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस के लिए सेबी जो टिप्पणी देता है, उसे ही आईपीओ की मंजूरी माना जाता है। इसी के बाद कंपनियां आईपीओ ला सकती हैं।
कंपनी ने कही ये बात: वहीं इस मामले में अडानी समूह की ओर से भी बयान आ गया है। अडानी समूह के प्रवक्ता ने शनिवार को बयान में कहा, ‘‘हमें अभी आईपीओ पर निष्कर्ष को स्थगन में रखने के बारे में सेबी की ओर से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है। हालांकि, सेबी ने अपनी वेबसाइट पर जरूर जानकारी दी है।’’ प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘‘हमने हमेशा सेबी के नियमों का पूर्ण अनुपालन किया है। पूर्व में नियामक द्वारा मांगी गई सभी सूचनाएं हमने उपलब्ध कराई हैं। हम भविष्य में भी नियामक के साथ पूरा सहयोग करते रहेंगे।’’
एफपीआई पर भी दी प्रतिक्रिया: अडानी समूह के प्रवक्ता ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक यानी एफपीआई को लेकर भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम पहले भी कह चुके हैं कि ग्रुप का एफपीआई के साथ, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, कोई संबंध नहीं है। हालांकि, दुर्भाग्य से बार-बार इस मुद्दे को उठाकर निवेशकों को गुमराह किया जा रहा है।
बता दें कि बीते जुलाई महीने में केंद्र सरकार के मंत्री पंकज चौधरी ने संसद को बताया था कि प्रतिभूति नियामक और सीमा शुल्क प्राधिकरण नियमों का पालन न करने के लिए अडानी समूह की कुछ कंपनियों की जांच कर रहे हैं। हालांकि, चौधरी ने जांच के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी थी। वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि अडानी विल्मर के आईपीओ पर रोक की वजह जांच है। हालांकि, सेबी ने अब तक इस पर स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
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4,500 करोड़ जुटाने की योजना: आपको बता दें कि खाद्य तेल कंपनी अडानी विल्मर लिमिटेड ने आईपीओ के जरिये 4,500 करोड़ रुपए जुटाने के लिए सेबी के पास दस्तावेज जमा कराए थे। कंपनी आईपीओ के जरिये जुटाई गई राशि का उपयोग मौजूदा विनिर्माण संयंत्रों के विस्तार और नये कारखाने लगाने में होने वाले खर्च में करना चाहती है। इसके अलावा कंपनी कर्ज चुकाने, रणनीतिक अधिग्रहण और निवेश के अलावा सामान्य कंपनी कार्यों में भी इस राशि का उपयोग करने की मंशा रखती है।
रामदेव की कंपनी से मिलती है टक्कर: अडानी विल्मर फार्चून ब्रांड के तहत खाद्य तेल बेचती है और क्षेत्र की प्रमुख इकाई है। इस कंपनी को योगगुरु बाबा रामदेव की रुचि सोया से कारोबारी टक्कर मिलती है। साल 2019 में रुचि सोया के अधिग्रहण के लिए भी पतंजलि समूह और अडानी विल्मर के बीच टक्कर हुई थी। हालांकि, बाद में अडानी विल्मर ने रुचि सोया की दावेदारी से खुद को अलग कर लिया था। रुचि सोया का अधिग्रहण योगगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि समूह ने किया था।
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