भारत में कोरोना वायरस से फैली महामारी के बीच शोधकर्ताओं की एक टीम जांच कर रही है कि कैसे ग्रीन टी कोविड-19 से निपटने में सक्षम एक दवा को जन्म दे सकती है. भारतीय मूल के शोधकर्ता सुरेश मोहन कुमार ने कहा, "शुरुआती नतीजों से पता चला है कि ग्रीन टी के यौगिकों में से एक कोरोना वायरस का मुकाबला कर सकता है." उनका कहना है कि प्रकृति की सबसे पुरानी फार्मेसी संभावित अनोखी दवाओं का खजाना रही है और हमारा सवाल था कि उनमें से कोई यौगिक कोविड-19 महामारी से लड़ने में हमारी सहायता कर सकता है?
क्या ग्रीन टी कोविड-19 की कर सकती है रोकथाम?
उन्होंने आगे बताया, "हमने प्राकृतिक यौगिकों की जांच पड़ताल की जो पहले से ही अन्य कोरोना वायरस के खिलाफ सक्रिय जाने जाते हैं. उसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से कम्पयूटर प्रोग्राम का इस्तेमाल किया गया." मोहन कुमार ने जोर दिया कि रिसर्च से संकेत मिलता है कि ग्रीन टी में मौजूद एक यौगिक कोविड-19 का कारण बननेवाले कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता रखता है. हालांकि, अभी ये रिसर्च अपने शुरुआती चरणों में है और किसी भी क्लीनिकल आवेदन के लिए बहुत काम की जरूरत है.
शुरुआती कदम होने के बावजूद भविष्य में संभावना
शोधकर्ता ने कहा, "हमारा मॉडल भविष्यवाणी करता है कि गैलोकैटेचिन यौगिक सबसे अधिक सक्रिय है, जो ग्रीन टी में मौजूद होता है और आसानी से, सुलभ और किफायती है." अब आगे और जांच पड़ताल करने की जरूरत है ये जानने के लिए कि क्या ये कोविड-19 के इलाज या रोकथाम में सुरक्षित और प्रभावी है. इस सिलसिले में उनका दावा है कि शुरुआती कदम होने के बावजूद आगे कोविड-19 की रोकथाम में मदद मिलने की संभावना है.
स्वानसी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एंड्रयू मोरिस ने कहा, "ये आकर्षक रिसर्च है जो बताता है कि प्राकृतिक प्रोडक्ट्स संक्रामक बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में शीर्ष यौगिक के महत्वपूर्ण स्रोत बने हुए हैं." शोधकर्ता अब आगे प्री क्लीनिकल और क्लीनिकल रिसर्च की मंसूबाबंदी में जुट गए हैं. रिसर्च के नतीजे आरएससी एडवांसेस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. सुरेश मोहनकुमार स्वानसी यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल में वर्तमान पद संभालने से पहले ऊटी के जेएसएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी में पढ़ाई कर चुके हैं.
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