आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई पहलुओं का जिक्र किया है। उन्होंने नीतियों के माध्यम से विवाह, पारिवारिक रिश्ते, तरक्की, धन, बिजनेस और संतान संबंधी कई बातें बताई हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार, दुनिया में ऐसे 4 तरह के लोग होते हैं, जिन्हें पिता समान समझना चाहिए और वैसा ही आदर-सत्कार देना चाहिए। जानिए आचार्य चाणक्य ने किन लोगों को बताया है पिता समान-
1. चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान देने वाले गुरु का स्थान हमेशा पिता समान होता है। क्योंकि गुरु के ज्ञान ही शिष्य अपना भविष्य संवारता है। गुरु हमेशा पिता के समान बच्चे को सही मार्ग दिखाता है। जिससे बच्चा सही और गलत में भेद कर पाता है। इसलिए गुरु को हमेशा पिता समान सम्मान देना चाहिए।
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2. यज्ञोपवीत संस्कार शास्त्रों में वर्णित 16 संस्कारों में से एक है। कहा जाता है कि यज्ञोपवीत एक तरह से दूसरे व्यक्ति को जन्म देता है। इसलिए यज्ञोपवीत कराने वाले पुरोहित को पिता समान आदर-सम्मान देना चाहिए।
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3. चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति आपके लिए घर से दूर होने पर रहने व खाने-पीने की व्यवस्था करता है, उसे पिता के समान माना जाता है। ऐसे व्यक्ति को पिता की तरह ही सम्मान देना चाहिए।
4. नीति शास्त्र के अनुसार, जो व्यक्ति प्राणों की रक्षा करता है, वह जीवनरक्षक कहलाता है। ऐसे में जिस व्यक्ति ने आपके प्राणों की रक्षा की हो उसे पिता समान सम्मान देना चाहिए।
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