चीन में एक सूअर की मौत पर मातम पसरा है. लाखों लोग शोक मना रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर हैशटैग चला रहे हैं. बुधवार को बुढ़ापा और थकान के कारण 14 साल की उम्र में उसकी मौत ने चीन में भावनाओं का सैलाब बहा दिया. 2008 में आए शक्तिशाली भूकंप के मलबे में 36 दिनों तक जीवित रहने के बाद उसकी पहचान राष्ट्रीय प्रतीक की बन गई. मलबे से जीवित निकाले जाने के बाद देश में उसने सुर्खियां बटोरी. उसकी अद्भुत कहानी ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा.
एक सूअर की मौत पर चीन में पसरा मातम
चीन में लोग उसे प्यार से ‘झू जिनक्यिांग’, या ‘ मजबूत इच्छा शक्ति वाला सूअर’ के तौर पर संबोधित करने लगे. सिचुआन प्रांत में रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता के भूकंप ने करीब 69 हजार लोगों की जिंदगी छीन ली थी और 18 हजार लोग लापता पाए गए थे. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि झू का वजन सदमे से काफी कम हो गया था. जब उसे मलबे से निकाला गया तो बकरे की तरह दिखाई देता था. लेकिन, जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष की कहानी ने काफी लोगों को मंत्रमुग्ध किया.
उसे म्यूजियम के मालिक ने 450 डॉलर में खरीद लिया और तब से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना रहा. यहां तक कि चीन में दर्जनों बिजनेस ब्रांड ने उसके नाम का इस्तेमाल किया. मई में वीबो पर अलविदाई पोस्ट में म्यूजियम की तरफ से झू की जिंदगी के करीबी अंत का एलान किया गया. चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया गया, “वास्तव में आकर्षण के पीछे न सिर्फ एक सूअर है, बल्कि एक सामूहिक याद है. जब से उसे मलबे से निकालकर म्यूजियम लाया गया, कई सैलानी झू को रोजाना देखने आते थे. ये जिंदगी का करिश्मा है, ये मजबूत इच्छा का प्रतीक है.”
भूकंप के मलबे से बच निकाला गया था जीवित
झू इस साल बीमार था और प्रलयकारी भूकंप की 13वीं एनिवर्सिरी मनाने के बाद उसकी मौत हो गई. म्यूजियम की तरफ से जैसे ही वीबो पर उसकी मौत का एलान किया गया, देश भर से ‘मजबूत सूअर’ के लिए श्रद्दांजलि का तांता लग गया. कई वीबो यूजर ने भी उसके गुजर जाने पर शोक व्यक्त किया. हैशटैग के तौर पर ‘मजबूत इच्छा शक्ति वाला सूअर की मौत’ देश के टॉप ट्रेंड में रहा.
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