स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले एक दिन में 18043 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। जबकि 20,293 मरीजों को डिस्चॉर्ज किया गया। 61,045 सैंपल की जांच में कोरोना संक्रमण दर 29.56 फीसदी दर्ज की गई है। इस बीच 448 मरीजों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
राजधानी में कोरोना ग्राफ को देखें तो 30 अप्रैल को 27047 मामले मिले थे। इसके बाद एक मई को 25,219 और दो मई को 20,394 मामले मिले थे। तीन दिन से कम हो रहे नए मामलों को देखते हुए ही यह कहा जा रहा है कि शायद दिल्ली में चौथी लहर का पीक निकल चुका है। हालांकि नई दिल्ली स्थित डॉ. दिवेंदु वर्मा का कहना है कि अभी एक सप्ताह तक मरीजों की संख्या कम रहती है तो यह कहा जा सकता है कि दिल्ली चौथी लहर से बाहर आने लगी है। हालांकि वर्तमान स्थिति ऐसी है कि इस लहर से पूरी तरह से बाहर आने में कम से कम एक से दो महीने का वक्त लग सकता है। इस बीच अगर लोगों ने नियमों का पालन नहीं किया तो पांचवीं लहर का सामना भी करना पड़ सकता है।
राजधानी में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 12,12,989 हो चुकी है जिनमें से 11,05,983 मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं। वहीं 17414 मरीजों की मौत हो चुकी है। फिलहाल सक्रिय मरीजों की संख्या भी हर दिन घटती जा रही है। अभी 89,592 सक्रिय मरीज हैं जिनमें से 50,441 मरीज अपने घरों में आइसोलेशन में हैं। 44,052 इलाके कोरोना संक्रमण की वजह से सील किए जा चुके हैं।
केवल 1,611 युवाओं ने लिया वैक्सीन
सोमवार को सोशल मीडिया पर दिल्ली सरकार ने युवाओं के वैक्सीन लेने के कार्यक्रम को काफी बढ़ावा भी दिया लेकिन शाम को जब टीकाकरण के आंकड़ें सामने आए तो एक दिन में केवल 1,611 लोगों को वैक्सीन मिलने की जानकारी दी गई जिनमें से 1,260 ने पहली और 351 ने दूसरी डोज ली। जबकि एक दिन पहले यह आंकड़ा 45 हजार से भी अधिक था।
हालांकि कोरोना की जांच कम होना भी एक वजह
पिछले तीन दिन के दौरान नए मामलों में कमी आई है लेकिन इसके पीछे एक वजह कोरोना की कम जांच होना भी है। पिछले एक दिन में ही 61,045 सैंपल की जांच की गई जबकि उससे पहले 2 मई को 71,997 एक मई को 79,780 और 30 अप्रैल को 82,745 सैंपल की जांच की गई थी। इससे साफ पता चलता है कि कोरोना की जांच कम होने से नए मामलों के बढ़ते ग्राफ पर भी असर पड़ा है।
सरकार चाहे तो बच सकती हैं मरीजों की जान
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. आर गंगाखेड़कर का कहना है कि कोरोना मरीजों की मौत को रोका जा सकता है। हमने पिछले साल इसे साबित किया था। मरीज को समय पर इलाज मिलता है तो ऐसा हम कर सकते हैं। होम आइसोलेशन में मरीज को घर बैठे चिकित्सीय सलाह, अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन के पर्याप्त इंतजाम पर जितना जल्दी हो सके, ध्यान देना होगा।
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