जर्मन बायोटेक क्योरवैक की विकसित प्रायोगिक कोविड-19 वैक्सीन तीसरे चरण के मानव परीक्षण में नाकाम साबित हुई है. ये किसी भी वैक्सीन उम्मीदवार की अंतिम चरण में पहली बड़ी नाकामी है. क्योरवैक ने कहा कि अंतरिम परीक्षण के नतीजे में वैक्सीन का असर 47 फीसद रहा जो परीक्षण के उद्देश्य से कम और अमेरिकी नियामकों के तय 50 फीसद मानक से नीचे है.
बिल गेट्स समर्थित बायोटेक को करारा झटका
ये नाकामी विश्व के टीकाकरण प्रयासों को धक्का है क्योंकि यूरोपीय अधिकारी ने पहले ही वैक्सीन की 40 करोड़ से ज्यादा डोज खरीदने का समझौता कर लिया था. हालांकि, निराशाजनक परिणाम के बावजूद कंपनी के सीईओ फ्रांज वर्नर हास ने कहा है कि क्योरवैक हर संभव ‘तेजी से अंतिम परीक्षण को पूरा करेगी’. ये परीक्षण अभी भी जारी है और वैक्सीन के अंतिम प्रभाव में कमी या ज्यादती हो सकती है. उन्होंने बताया कि हम अभी भी वैक्सीन की मंजूरी के लिए आवेदन का मंसूबा बना रहे हैं.
क्योरवैक को बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है और अंतरिम नतीजे के एलान से उसके शेयर की कीमतों में 50 फीसद अधिक की कमी आई है. ब्लूमबर्ग के संकलित डेटा के मुताबिक, फाउंडेशन के पास क्योरवैक का करीब 31 लाख या कंपनी की 1.7 फीसद हिस्सेदारी है. एक विशेषज्ञ का कहना है कि क्योरवैक के परीक्षण को सफलता प्राप्त करना करीब असंभव होगा. वैक्सीन के असर का 47 फीसद आंकलन 134 कोविड-19 प्रतिभागियों पर आधारित है.
तीसरे चरण के मानव परीक्षण में वैक्सीन असफल
कंपनी ने बयान में कहा कि कोरोना वायरस की नई किस्मों ने नतीजे में भूमिका निभाई. मानव परीक्षण में शामिल 134 कोविड-19 मरीजों में सिर्फ एक में कोरोना वायरस के मूल स्ट्रेन की पहचान हुई. फ्रांज के मुताबिक, हालांकि हम मजबूत नतीजे की उम्मीद कर रहे थे, मगर हम स्वीकार करते हैं कि विभिन्न वेरिएन्ट्स में बहुत ज्यादा असर की प्राप्ति किसी चुनौती से कम नहीं थी. निराशाजनक नतीजे हैरतअंगेज हैं क्योंकि क्योरवैक की एमआरएनए तकनीक अब तक की प्रभावी वैक्सीन से मिलती-जुलती है. एमआरएनए तकनीक मॉडर्ना और फाइजर-बायोएनटेक के जरिए इस्तेमाल की जाती हैं.
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