आजकल स्मार्टफोन में मिल रही टेक्नोलॉजी काफी एडवांस हो चुकी है. फोन को हमारे अलावा को और नहीं चला सके इसके लिए लॉक सिस्टम की शुरुआत की गई. जब ये टेक्नोलॉजी आगे बढ़ी तो इसमें पिन और पेटर्न की शुरुआत हुई. थोड़े समय बाद टेक्नोलॉजी ने और तरक्की की तो फिंगरप्रिंट स्कैनर आया. अब हाल ये है कि सिर्फ स्मार्टफोन को सिर्फ चेहरे के सामने रखने से ही फोन का लॉक खुल जाता है. महज चेहरे से फोन कैसे खुलता है आखिर इसके पीछे कौनसी तकनीक है ये एक बड़ा सवाल है. तो इसका जवाब है फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी (Facial Recognition Technology). आइए जानते हैं ये क्या है और कैसे काम करती है.
क्या है फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी?
फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी दरअसल बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी का ही एक पार्ट है जो किसी व्यक्ति को उसके चेहरे से उसकी पहचान करने में मदद करता है. लोग इसे बायोमेट्रिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस एप्लीकेशन के रूप में भी पहचानते हैं, जिसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति को उसके आँख के रेटिना, नाक, चेहरे के आकार के हिसाब से पहचाना जाता है. किसी फोटो, वीडियो या रियल टाइम में लोगों की पहचान करने के लिए फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का यूज किया जाता है. हालांकि कई बार ये खतरनाक भी साबित हो सकता है, क्योंकि रिकॉग्नाइज डाटा में ऐरर का खतरा हो सकता है जो पुलिस वेरिफिकेशन के टाइम बेगुनाह लोगों को अपराधी बना सकता है.
टेक्नोलॉजी कैसे करती है काम?
फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी एल्गोरिदम स्केल पर काम करती है, जहां आप चेहरा देखते हैं पहचानते हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी फेस डेटा देखती है. उस डेटा को स्टोर और एक्सेस किया जा सकता है. ये तकनीक डेटा को रीड करके फोन का लॉक खोल देती है. आजकल के ज्यादातर स्मार्टफोन में सिक्योरिटी के लि इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
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