जीत के लिए चक्रव्यूह ही नहीं, कौरव-पांडवों ने 11 व्यूह भी रचे

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Mahabharat : 18 दिन तक चले महाभारत युद्ध में सबसे संहारक युद्ध विधाएं और अस्त्र इस्तेमाल किए गए. खासतौर पर कौरवों की ओर से 13वें दिन अभिमन्यु वध के लिए रचा गया चक्रव्यूह आज भी लोगों को क्रोध से भर देता है, लेकिन पूरे युद्ध में दोनों पक्षों की ओर से कुल 11 व्यूहों की रचना की गई, जिसकी शुरुआत पहले ही दिन कौरवों ने वज्र व्यूह तो पांडवों ने तीसरे दिन अर्धचंद्राकार व्यूह के साथ की.


गरुड़: यह व्यूह गरुड़ पक्षी की तरह बनता है, महाभारत में इस व्यूह की रचना भीष्म ने की थी. इसमें सैनिकों को विपक्षी सेना के सामने इस तरह लाइन से खड़ा किया जाता है कि आसमान से देखने पर गरुड़ पक्षी जैसी आकृति दिखे.   
 
क्रौंच: यह सारस की एक प्रजाति है. इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह किया जाता था. महाभारत में युधिष्ठिर ने छठे दिन कौरवों के संहार के लिए इस व्यूह की रचना की थी.  
 
मकर : प्राचीन काल में मकर नाम का जलचर होता है. इसका सिर मगरमच्छ जैसा तो सिर पर बकरी की तरह सींग होते हैं. मगर यहां तात्पर्य मगर से है. महाभारत में इस व्यूह की रचना कौरव-पांडव दोनों ने की थी.
 
कछुआ : इस व्यूह में सेना को कछुए की तरह जमाया जाता है. इसे कौरवों ने आठवें दिन इस्तेमाल कर पांडव सेना को भारी नुकसान पहुंचाया था.  
 
अर्धचंद्राकार : अर्ध चंद्र सैन्य रचना को अर्धचंद्राकार व्यूह कहते थे. इस व्यूह की रचना अर्जुन ने कौरवों की ओर से तीसरे दिन गरुड़ व्यूह के प्रत्युत्तर में की थी. जो पांडवों को क्षति रोकने में सफल रहा. 


मंडलाकार : मंडल का अर्थ गोलाकार या चक्राकार. महाभारत में सातवें दिन इसे भीष्म पितामह ने परिपत्र रूप में किया था. इसके जवाब में पांडवों ने व्रज व्यूह की रचना कर भेद दिया था.


चक्रव्यूह : चक्रव्यूह आसमान से देखने पर घूमते हुए चक्र समान सैन्य रचना है. इसे देखने पर अंदर जाने का रास्ता तो नजर आता है, लेकिन निकलने का नहीं. महाभारत में 13वें दिन इसकी रचना गुरु द्रोण ने की थी.
 
चक्रशकट : अभिमन्यु की निर्मम हत्या के बाद अर्जुन ने शपथ ली थी कि जयद्रथ को सूर्यास्त के पूर्व मार दूंगा. तब द्रोणाचार्य ने जयद्रथ को बचाने के लिए चक्रशकट व्यूह रचा. मगर श्रीकृष्ण की चतुराई के चलते जयद्रथ इससे बाहर आ गया और अर्जुन के हाथों मारा गया.
 
वज्र : इन्द्रदेव के वज्र जैसा होता है. यह दो प्रकार के कुलिश-अशानि होते हैं. इसके ऊपर तिरछे-टेढ़े तीन भाग बने होते हैं. महाभारत में इसकी रचना अर्जुन ने सातवें दिन की थी.
  
औरमी व्यूह: पांडवों के व्रज व्यूह के जवाब में भीष्म ने औरमी व्यूह रचा. इस व्यूह में पूरी सेना समुद्र समान सजाई जाती थी. लहरों की तरह कौरव सेना ने पांडवों पर आक्रमण किया था.
श्रीन्गात : कौरवों के औरमी व्यूह का जवाब अर्जुन ने श्रीन्गातका व्यूह से दिया. ये व्यूह भवन के समान दिखता था. इसे तीन शिखरों वाला व्यूह भी कहा जाता है. इसके अलावा सर्वतोभद्र और सुपर्ण व्यूह का भी युद्ध में उल्लेख है, लेकिन वर्णन विशेष नहीं मिलता है.



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