नई दिल्ली: सऊदी अरब ने उत्पादन नियंत्रण को कम करने के भारत के आग्रह को नजरअंदाज कर दिया है. ऐसे में भारत ने कहा है कि वह कच्चे तेल की खरीद किसी ऐसे देश से करेगा, जो अनुकूल कारोबारी शर्तों के साथ सस्ती दरों की पेशकश करेगा.
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश भारत की रिफाइनरी कंपनियां आपूर्ति में विविधीकरण के लिए पश्चिम एशिया के बाहर से अधिक तेल की खरीद कर रही हैं. फरवरी में अमेरिका, सऊदी अरब को पीछे छोड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया था. लेकिन यह पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उसके अन्य सहयोगियों (ओपेक प्लस) के उत्पादन में कड़ाई बरतने के चार मार्च के फैसले से पहले की बात है.
हितों का ध्यान
एक कार्यक्रम में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आयात पर निर्णय से पहले भारत अपने हितों का ध्यान रखेगा. सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री अब्दुलअजीज बिन सलमान ने भारत से कहा था कि वह उत्पादकों से उत्पादन बढ़ाने को कहने के बजाय पिछले साल बेहद निचली कीमत पर खरीदे गए कच्चे तेल के इस्तेमाल करे. प्रधान ने कहा कि सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री का यह बयान एक नजदीकी मित्र का अकूटनीतिक वक्तव्य है.
प्रधान ने कहा, ‘भारत रणनीतिक और आर्थिक फैसले करते समय अपने हितों को ध्यान में रखेगा.’ उन्होंने कहा कि हम उपभोक्ता देश हैं और हमें दीर्धावधि के लिए ऊर्जा का आयात करना है. ऐसे में जो भी देश हमें सस्ता कच्चा तेल आसान शर्तों के साथ देगा, हम उसे खरीदेंगे. प्रधान ने कहा, ‘किसी भी देश के जरिए सस्ती दरों पर आपूर्ति हमारी प्राथमिकता है. यह कोई भी देश हो सकता है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या फरवरी का आयात का रुख यह दर्शाता है कि भारत, सऊदी अरब के ऊपर अमेरिका को तरजीह दे रहा है, पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, ‘यह मुद्दा नहीं है कि हम किसके नजदीक हैं और किसके नहीं. मुद्दा यह है कि कौन हमारे हितों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकता है.’
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