टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने मंगलवार को 5 जी ट्रायल के लिए रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और एमटीएनल के ट्रायल को मंजूरी दे दी. लेकिन इनमें से किसी भी कंपनी को ट्रायल के लिए चीनी कंपनियों के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं कर सकतीं. जिन टेलीकॉम गियर मेकर्स को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन से इजाजत मिली है, उनमें एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग, सी-डॉट और रिलायंस जियो की ओर से तैयार तकनीक शामिल हैं. इसका मतलब यह है कि टेलीकॉम गियर बनाने वाली चीनी कंपनियां भारत में 5 जी ट्रायल का हिस्सा नहीं बन सकतीं.
जियो इन्फोकॉम अपनी तकनीक से करेगी ट्रायल
पहले भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने चीनी कंपन हुवावे की तकनीक इस्तेमाल कर ट्रायल करने की इजाजत मांगी थी लेकिन बाद में दिए गए आवेदन में उन्होंने कहा था कि वे इसके बिना ही ट्रायल करेंगी. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन ने कहा कि इन सर्विस प्रोवाइडर्स ने एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट जैसी ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर्स और टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स के साथ समझौता किया है. इसके साथ ही रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड खुद तैयार की गई हुई तकनीक से 5-जी ट्रायल करेंगीं. विश्लेषकों का कहना है सरकार की ओर बगैर चीनी उपकरण के 5 जी ट्रायल को मंजूरी देना यह साबित करता है कि सरकारी हुवावे या ऐसी किसी चीनी कंपनी को यहां ट्रायल की इजाजत नहीं देगी.
ग्रामीण और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में भी करनी होगी टेस्टिंग
टेलीकम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट ने कहा है कि फिलहाल इस ट्रायल की अवधि छह महीने की है. इनमें से दो महीने उपकरण खरीदने और उन्हें लगाने के लिए दिए गए हैं. बयान के मुताबिक कंपनियों को ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में टेस्टिंग करनी होगी ताकि 5 जी सर्विस का दायरा केवल शहरी क्षेत्रों तक सिमट कर न रह जाए. इसका फायदा देश का हर क्षेत्र उठा सके.
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