टैक्स सेविंग स्कीम में इंवेस्टमेंट करने से पहले जान लें यह जरूरी बातें, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

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वित्त वर्ष 2020-21 के आखिरी कुछ दिन बचे हैं। 31 मार्च तक सभी टैक्सपेयर्स को अपने हिस्से के टैक्स का भुगतान कर देना है। टैक्स जमा करने की आखिरी तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती है लोग जल्दबाजी में कई बार गलतियां कर बैठते हैं। जिसके कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। 

गलत इंवेस्टमेंट करने से बचें 

कई बार जल्दबाजी में हम गलत जगह इंवेस्टमेंट कर देते हैं। ऐसे में इंवेस्टमेंट में हमें ना तो बेहतर रिटर्न मिलता है और ना ही टैक्स के लिहाज से सही रहते हैं। जैसे अगर आप 5 साल के यूलीप में इंवेस्ट करते हैं तो आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। 

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अपने इंवेस्टमेंट को कैलकुलेट करें 

अगर आप पुरानी कर व्यवस्था का चयन करते हैं तो आप पहले  टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट को कैलकुलेट कर लें। सभी को यह चेक कर लेना चाहिए कि पुराने इंवेस्टमेंट के जरिए आपका टैक्स बच रहा है या नहीं। अगर आपको लगता की पुराने सभी इंवेस्टमेंट को दिखाने के बाद भी आपको ज्यादा टैक्स देना पड़ रहा है तो ऐसी स्थिति में आपको कोई नया निवेश कर लेना चाहिए। 

इनकम टैक्स का सेक्शन 80D 

कई बार हम इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी को इग्नोर कर देते हैं। जिसके कारण भी हमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को सेक्शन 80डी के तहत छूट मिलती है। साथ ही सेक्शन 24 के तहत होम लोन का प्रिंसिपल रिपेमेंट  पर भी छूट मिलती है। 

कर व्यवस्था का चयन 

नए वित्तीय वर्ष 2021-22 में पहली बार टैक्स पेयर्स के पास विकल्प होगा की वह इनकम टैक्स रिटर्न भरते वक्त पुरानी कर व्यवस्था या फिर नई कर व्यवस्था में किसी एक को चुनें। ऐसे में सबकुछ कैलकुलेट कर लेना चाहिए।

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ELSS में इंवेस्टमेंट करना कितना फायदेमंद 

कई बार देखा जाता है लोग ELSS में इंवेस्टमेंट कर देते हैं। यह हो सकता है कि इस साल के यह आपको फायदा दे लेकिन कोई जरूरी नहीं है कि वह अगले साल भी फायदेमंद रहेगा। ऐसे में इन स्कीमों में इंवेस्ट करने से बचना चाहिए। 

खतरे का आकलन जरूर करें 

जब कभी हम इंवेस्टमेंट करते हैं तो हमारी कोशिश होती है कि टैक्स बचाने के यह लाॅन्ग टर्म में फायदेमंद रहे। लेकिन कई बार जल्दबाजी में हम रिस्क कवर का आकलन करने में चूक जाता हैं जिसके कारण हमें नुकसान उठाना पड़ता है। 

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