डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनावी हार के बाद अपना पहला लंबा राजनीतिक संबोधन दिया। शनिवार की रात नेशनल सेंटरस्टेज पर लौटते हुए उन्होंने उत्तरी कैरोलिना में रिपब्लिकन्स से कहा कि ‘हमारा देश हमारी आंखों के सामने नष्ट हो रहा है।’ इस दौरान उन्होंने एक बार फिर चीन को कोरोना महामारी फैलाने का जिम्मेदार बताया।
90 मिनट के अपने भाषण में ट्रम्प ने राष्ट्रपति जो बाइडन पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान नेतृत्व चीन के सामने झुक रहा है, और देश की विश्व स्तर पर बदनामी हो रही है। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका का सर्वाइवल रिपब्लिकन्स को हर एंट्री लेवल पर चुनने की हमारी क्षमता पर निर्भर करता है। इसकी शुरुआत 2022 के मिडटर्म इलेक्शन्स से होगी।
ट्रंप ने कहा, आप हमारी सीमा को देखें, यह पूरी तरह से खुली है। अवैध अप्रवास उस स्तर पर बढ़ रहा है जो हमने पहले कभी नहीं देखा है, और यह कुछ महीनों की अवधि में है। ड्रग्स की बाढ़ आ रही है, गैस की कीमतें बढ़ रही हैं, हमारे उद्योगों को विदेशी साइबर हमलों से लूटा जा रहा है। बाइडन प्रशासन हमारे बच्चों के स्कूलों में टॉक्सिक क्रिटिकल रेस थ्योरी और इल्लीगल डिस्क्रिमिनेशन को पुश कर रहा है।
ट्रम्प ने कोरोना महामारी पर चीन को घेरते हुए कहा कि वायरस से हुए विनाश की भरपाई के लिए पूरी दुनिया को एक साथ आकर चीन को 10 ट्रिलियन डॉलर का बिल पेश करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह बहुत कम संख्या है। नुकसान उससे कहीं अधिक है। पहले कदम के रूप में, सभी देशों को सामूहिक रूप से चीन को दिए गए किसी भी ऋण को विनाश की भरपाई के डाउन पेमेंट के रूप में कैंसिल कर देना चाहिए। ट्रम्प ने कहा, दुनिया के देशों को अब चीन को पैसा नहीं देना चाहिए… लेकिन चीन को दुनिया के देशों का पैसा देना चाहिए।
आपको बता दें कि दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने के लिए शुरू से ही डोनाल्ड ट्रम्प चीन को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। उन्होंने कई बार अपने संबोधन में कोरोना को चाइनीज वायरस कहा था। हाल ही में उन्होंने एक बार फिर अपने बयान में कहा था, दुनिया के लोग अब यह मानने लगे हैं कोरोना को लेकर मैंने जो बात कही थी वह सही है।
ट्रम्प ने कहा था- ‘अब हर कोई यहां तक कि जो तथाकथित दुश्मन है उन्होंने भी यह कहना शुरू कर दिया है कि चीनी वायरस के वुहान लैब से फैलने की बात पर राष्ट्रपति ट्रम्प सही थे। इस वायरस से हुए विनाश के लिए चीन को अमेरिका और दुनिया को 10 ट्रिलियन डॉलर का भुगतान करना चाहिए।’
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