नई दिल्ली: डोमिनिका की निचली अदालत में भगोड़े मेहुल चौकसी की एक बार फिर पेशी होगी. साथ ही 8 जून को उसकी जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2 जून को मेहुल चौकसी की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसके भाग जाने का खतरा है.
इस बीच स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईस्टर्न कैरेबियान हाई कोर्ट ने मेहुल के वकीलों की तरफ से दाखिल हेबियस कोर्पस की अपील पर सुनवाई अनिश्चित काल के लिए टाल दी है. इससे पहले 3 जून को हुई सुनवाई में मेहुल के वकीलों और सरकारी पक्ष को हलफनामा दाखिल करने और आपसी सहमति से तारीख तय कर अदालत को बताने के लिए कहा गया था.
मेहुल चौकसी अब भी डोमिनिका के अस्पताल में ही भर्ती है. वहीं अदालत से साफ किया है कि अस्पताल से छूटने के बाद और जमानत न मिलने पर मेहुल को हर सात दिन में पेशी देनी होगी जब तक उसके मामले का ट्रायल पूरा नहीं होता. इसके मद्देनजर ही चौकसी के वकीलों की टीम ने उसकी जमानत याचिका के साथ हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की है. ध्यान रहे कि इससे पहले 2 जून को हुई सुनवाई में मजिस्ट्रेट कैंडिया कैरेट जॉर्ज ने आदेश दिया था कि भारत और
मेहुल चौकसी खेमा यह साबित करने की कोशिश में जुटा है कि उसे एंटीगुआ से अपहरण कर लाया गया है. इस बीच मीडिया में कुछ नाम, तस्वीरें और पास्पोर्ट प्रतियां भी सामने आईं. हालांकि इनको लेकर न तो आधिकारिक तौर पर न तो डोमिनिका पुलिस ने और न ही एंटीगुआ की जांच एजेंसियों ने कोई पुष्टि की है.
बीते सप्ताह प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन की अगुवाई में हुई एंटीगुआ कैबिनेट की बैठक में भी मेहुल चौकसी मामले पर विचार किया गया. एंटीगुआ सरकार का यह मत था कि एंटीगुआ-बार्बुडा से मेहुल चौकसी कैसे और किन हालात में डोमिनिका पहुंचा यह जांच का विषय है. पुलिस एजेंसियां इसकी पड़ताल कर भी रही हैं. लेकिन भारत में वांटेड मेहुल को भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ही सौंपा जाना चाहिए. क्योंकि अगर उसे वापस एंटीगुआ भेजा जाता है तो इससे एंटीगुआ-बार्बुडा की समस्या ही बढ़ेगी.
गौरलतब है कि 2018 से एंटीगुआ बार्बुडा में मेहुल चौकसी 23 मई की शाम अचानक लापता हो गया. उसके बाद 26 मई को डोमिनिका में अंतरिक सुरक्षा मंत्रालय ने उसके डोमिनिकल हिरासत में होने की पुष्टि की. बाद में अदालत में दिए बयानों में सरकारी वकीलों का कहना था कि मेहुल 24 मई को डोमिनिका में अवैध तरीके से दाखल हुआ. उसके खिलाफ अब निचली अदालत में अवैध एंट्री का मामला विचाराधीन है. वहीं अदालत में डोमिनिका सरकार ने भी माना है कि मेहुल भारत में वांटेड और उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस है.
डोमिनिका में जारी अदालती प्रक्रिया और कानूनी पेचीदगियों के बीच ही हजारों करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाला आरोपी मेहुल को वापस लाने की भारत की आस भी उलझी है. यही वजह है कि उसकी वापसी की कावायद में आनन-फानन में भेजा गया विशेष विमान और अधिकारियों की टीम खाली हाथ वापस लौट आई है. हालांकि भारतीय राजनयिक और अधिकारी डोमेनिका सरकार के साथ संपर्क में हैं.
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