तालीबानी लड़ाकों ने पाक सेना के कैप्टन समेत 11 सैनिकों की हत्या की, 4 जवानों को अगवा किया

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नई दिल्ली: अफगानिस्तान में पाकिस्तान भले ही तालिबान को सत्ता पर काबिज करने के लिए मदद कर रहा है, लेकिन खुद उसके देश में ही तालिबान पाकिस्तानी सेना को निशाना बना रहा है. मंगलवार को तालिबानी लड़ाकों ने एक नरसंहार में पाकिस्तानी सेना के 11 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया और चार पाकिस्तानी सैनिकों को अगवा कर लिया. 


जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत (केपीके) में पाकिस्तानी सेना की थल-स्कॉउट्स के जवान पैट्रोलिंग कर रहे थे. उसी दौरान तहरीक-ए-तालिबान-पाकिस्तान (टीटीपी) के लड़ाकों ने उनपर हमला कर दिया. इस हमले में पाकिस्तानी सेना के बलूच रेजीमेंट के एक कैप्टन, अब्दुल बासित सहित 11 सैनिक मारे गए. इस जानलेवा हमले के बाद गश्ती-दल के बाकी 04 सैनिकों ने तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया. सरेंडर सैनिकों को तालिबानी लड़ाके अगवा करके अपने साथ ले गए हैं. देर शाम तक अगवा हुए पाकिस्तानी सैनिकों का कोई अता पता नहीं चला है. 


जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की थल-स्कॉउट की जिस पैट्रोलिंग-पार्टी पर हमला हुआ है, उसने तालिबान के कुछ लड़ाकों को गिरफ्तार कर लिया था और एक लड़ाके को गोली मार दी थी. इससे गुस्साएं तालिबान ने थल स्कॉउट्स के 11 सैनिकों की हत्या कर दी. 


आपको बता दें कि अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान को छोड़ने के बाद से पाकिस्तान को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत, जिसे पहले नार्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस यानी एनडब्लूएफपी के नाम से जाना जाता था, में खासी दिक्कत आ रही है. ये प्रांत अफगानिस्तान की डूरंड लाइन से सटा इलाका है. अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से लौटने और तालिबान के बढ़ते वर्चस्व से केपीके प्रांत में शरणार्थियों का तांता लग गया है. इसके अलावा यहां सक्रिय कबीले, कट्टरपंथी और आतंकी संगठन (टीटीपी, हक्कानी नेटवर्क इत्यादि) एक बार फिर से एक्टिव हो गए हैं. ऐसे में पाकिस्तान को ‘गुड तालिबान’ और ‘बैड तालिबान’ में फर्क करने में मुश्किल आ रही है. यही वजह है कि टीटीपी जैसे तालिबानी संगठन केपीके और गिलगिट-बालटिस्तान में अपने पांव पसारने में जुट गए हैं. यही वजह है कि ये आतंकी संगठन अब पाकिस्तानी सेना को निशाना बना रहे हैं. 


ओपन सोर्स में मौजूद जानकारी के मुताबिक, पिछले साल यानी साल 2020 में आंतरिक सुरक्षा में लगे पाकिस्तान के करीब 190 जवानों की मौत हो गई. इस साल (1जनवरी-07 जुलाई तक) ये आंकड़ा 124 तक पहुंच गया है. इन आकंड़ों में भारत से सटी एलओसी पर मारे गए सैनिकों की संख्या नहीं है. अगर उन आंकड़ों को भी जोड़ दिया जाए, तो ये संख्या काफी बढ़ जाती है.


पिछले दिनों ही गिलगिट बालटिस्तान में चीन पाकिस्तान इकनोमिक कोरिडोर (सीपीईसी) के करीब ही एक खुले इलाके में तालिबान की खुली-कचहरी (‘ओपन कोर्ट’) का वाडियो सामने आया था, जिसमे तालिबानी कमांडर स्थानीय विवादों को सुलझाते दिखे थे.



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