अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 30 Apr 2021 06:00 AM IST
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न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया कि जब्त दवा केस प्रोपर्टी के रूप में न रह जाए ताकि इसकी प्रभावशीलता न खोए। अदालत ने कहा कि दवा जरूरतमंद मरीजों को दिलाई जाए।
अदालत ने कहा कि आरोपियों से दवा के जब्त होने के तुरंत बाद जांच अधिकारी तुरंत डीसी को इसकी जानकारी देगा। जांच अधिकारी यह भी पता लगाएगा कि जब्त दवा वास्तविक है और यह सुनिश्चित करेगा कि इसे अस्पताल या कोविड स्वास्थ्य केंद्र में जारी होने तक इसकी प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए प्रशीतित वातावरण में रखा जाए।
कालाबाजारी करने वालों से बरामद किए गए ऑक्सीजन सिलेंडर के इस्तेमाल को लेकर कोर्ट ने इसी तरह का निर्देश जारी किया है। इतना ही नहीं अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कालाबाजारी से खरीदे गए रेमडेसिविर या ऑक्सीजन सिलिंडर को मरीजों या उनके अटेंडेंट्स से जब्त नहीं किया जाए। अदालत ने कहा हो सकता है कि उन्होंने ऐसा कदम सरासर हताशा और जरूरत से उठाया हो।
खंडपीठ ने यह निर्देश दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथारिटी के सदस्य सचिव कंवलजीत अरोड़ा के उस तर्क पर दिया कि जब्त दवाओं व ऑक्सीजन सिलिंडर को केस प्रोपर्टी बनाने की अपेक्षा उसे इस्तेमाल की इजाजत दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जरूरतमंदों को सहायता मिलेगी। राजधानी के लोग दवाओं के लिए जूझ रहे हैं। दिल्ली सरकार ने बताया कि 27 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने करीब 279 रेमडेसिविर की शीशियों को जब्त किया था।
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