डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय पेट्रोलियम परिवहन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कार्यक्रम में मौजूद रहें। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा,आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, भारत ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इथेनॉल सेक्टर के विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप अभी जारी हुआ है।
पीएम मोदी ने कहा, देशभर में इथेनॉल के उत्पादन और वितरण से जुड़ा महत्वाकांक्षी -100 पायलट प्रोजेक्ट भी पुणे में लॉन्च किया गया है। अब इथेनॉल, 21वीं सदी के भारत की बड़ी प्राथमिकताओं से जुड़ गया है। इथेनॉल पर फोकस से पर्यावरण के साथ ही एक बेहतर प्रभाव किसानों के जीवन पर भी पड़ रहा है।
पीएम मोदी ने कहा, आज हमने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने का संकल्प लिया है। 21वीं सदी के भारत को, 21वीं सदी की आधुनिक सोच, आधुनिक नीतियों से ही ऊर्जा मिलेगी। इसी सोच के साथ हमारी सरकार हर क्षेत्र में निरंतर नीतिगत निर्णय ले रही है। One Sun, One World, One Grid के विजन को साकार करने वाला International Solar Alliance हो,या फिर Coalition for Disaster Resilient Infrastructure की पहल हो,
पीएम मोदी ने कहा, भारत एक बड़े वैश्विक विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। क्लाइमेट चेंज की वजह से जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत उनके प्रति जागरूक भी है और सक्रियता से काम भी कर रहा है। 6-7 साल में Renewable Energy की हमारी capacity में 250 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।Installed रिन्यूएबल एनर्जी Capacity के मामले में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में है।इसमें भी सौर ऊर्जा की capacity को बीते 6 साल में लगभग 15 गुणा बढ़ाया है।
पीएम मोदी ने कहा, आज भारत, दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है कि जब पर्यावरण की रक्षा की बात हो, तो जरूरी नहीं कि ऐसा करते हुए विकास के कार्यों को भी अवरुद्ध किया जाए। Economy और Ecology दोनों एक साथ चल सकती हैं, आगे बढ़ सकती हैं, भारत ने यही रास्ता चुना है। आज देश के रेलवे नेटवर्क के एक बड़े हिस्से का बिजलीकरण किया जा चुका है।
पीएम मोदी ने कहा, देश के एयरपोर्ट्स को भी तेज़ी से सोलर पावर आधारित बनाया जा रहा है।2014 से पहले तक सिर्फ 7 एयरपोर्ट्स में सोलर पावर की सुविधा थी, जबकि आज ये संख्या 50 से ज्यादा हो चुकी है।जलवायु की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए हमारे प्रयासों का संगठित होना बहुत ज़रूरी है। देश का एक-एक नागरिक जब जल-वायु और ज़मीन के संतुलन को साधने के लिए एकजुट होकर प्रयास करेगा, तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित पर्यावरण दे पाएंगे।
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