पहली लहर के मुकाबले कैसे अलग है कोरोना की दूसरी लहर, इन लक्षणों ने बढ़ाया मौत का आंकड़ा

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश में ज्यादा कोहराम मचाया है, ये बात किसी से छुपी नहीं है. कई रिपोर्ट्स से ये बात साबित हुई है कि पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर ने ज्यादा नुकसान पहुंचाए हैं. वैसे दूसरी लहर में कोरोना के लक्षणों में भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं. दूसरी लहर में लक्षण और ज्यादा गंभीर हुए हैं इसलिए देश में मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है. ऐसे में नजर डालते हैं कि लक्षणों के मामले में कैसे दूसरी लहर पहली लहर से अलग है.





इस बार सबसे ज्यादा शरीर के किसी अंग को कोरोना ने प्रभावित किया तो वो फेफड़े ही हैं. पहली लहर में लंग इंफेक्शन ना के बराबर था लेकिन दूसरी लहर में लंग इंफेक्शन के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ, चेस्ट पेन, लगातार कफ और खांसी के साथ-साथ निमोनिया के लक्षण भी मरीजों में सामने आए. ये इसलिए भी हुआ क्योंकि दूसरी लहर में कोरोना के 25% मामलों में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन ने तबाही मचाई और इसका सबसे ज्यादा असर यंग एज ग्रुप के लोगों पर देखने को मिला.




पहली लहर में ऑक्सीजन लेवल का कम होने जैसे कोई लक्षण नहीं थे लेकिन दूसरी लहर में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन लेवल कम होने से लोगों की जानें गई हैं.ऑक्सीजन लेवल 92% कम होते ही मरीज की हालत चिंताजनक हो जाती है और फिर ऑक्सीजन का बंदोबस्त ना हो पाने पर मरीज की जान चली जाती है. 


 




पहली लहर में फीवर और कफ को बीमारी के प्रमुख लक्षणों में गिना गया लेकिन डबल म्यूटेंट स्ट्रेन के कारण अब केवल यही प्रमुख लक्षण नहीं हैं.इसके अलावा जो नए लक्षण सामने आए हैं उनमें सुनने की शक्ति प्रभावित होना, आंखों में थक्के जम जाना, स्किन पर रेसेज पड़ जाना और कंजक्टीवाइटिस जैसी बीमारियां भी शामिल हो गई हैं. पहली लहर में कोरोना मरीज निगेटिव होने के कुछ दिन बाद ठीक हो जाता था लेकिन अब  दूसरी कहर में ऐसा नहीं है. रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी शरीर में लंबे समय तक बहुत ज्यादा कमजोरी बनी रहती है.इसके अलावा हाजमा भी गड़बड़ होता है जिससे थकान से जल्दी निजात मिलना मुश्किल हो जाता है. 



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