पांडवों की जीत के लिए कृष्ण को काटना पड़ा भीम के पौत्र का सिर

0
19
Facebook
Twitter
Pinterest
WhatsApp

Mahabharat :  महाभारत केेेेेेेे युद्ध में पूरी दुनिया के योद्धा धर्म और अधर्म के बीच बंटकर लड़ रहे थे, लेकिन कुछ ऐसे चेहरे भी थे, जो अपनों के लिए ही मुसीबत बन गए. ऐसे में उन्हें युद्ध से दूर रखने के लिए जान तक गंवानी पड़ी. इनमें सबसे चर्चित नाम भीम के बेटे घटोत्कक्ष के पुत्र बर्बरीक का आता है. 


पौराणिक कथाओं के मुताबिक बर्बरीक के पास सिर्फ तीन तीर थे, जिनके बूते वे पूरी कौरव-पांडव सेना का सर्वनाश कर युद्ध खत्म कर सकते थे, लेकिन उनकी शर्त थी कि वह युद्ध में उसी पक्ष का साथ देंगे, जो हार रहा होगा. यही प्रण पांडवों के लिए मुसीबत बन गया. डर था कि कौरवों की हार देखते हुए वह अगर उनके पक्ष में रणभूमि में उतरे तो जीता हुआ युद्ध पांडव हार बैठेंगे, जिसके चलते श्रीकृष्ण को छल करते हुए उनका शीश काटना पड़ गया.


कौन थे बर्बरीक
बर्बरीक भीम के पुत्र घटोत्कच और नागकन्या अहिलवती के पुत्र थे. कहीं-कहीं उनके मुर दैत्य की पुत्री ‘कामकंटकटा’ के उदर से भी जन्म होने की बात कही गई है. कहा जाता है कि महाभारत युद्ध जब तय हो गया तो बर्बरीक ने भी युद्ध में शामिल होने की इच्छा जताई. उन्होंने अपनी मां को युद्ध में हारे हुए पक्ष का साथ देने का वचन दिया. बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे, जिसके बल पर वे कौरव-पांडवों की पूरी सेना समाप्त कर सकते थे. बर्बरीक नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर तीन बाण-धनुष लेकर कुरुक्षेत्र की ओर अग्रसर हुए. इसका पता चलते ही भगवान कृष्ण ने ब्राह्मण वेश में उनके सामने आ गए और दान में छलपूर्वक उनका शीश मांग लिया.


पहाड़ी पर रखे शीश से देखा युद्ध 
बर्बरीक ने कृष्ण से प्रार्थना की थी कि वे अंत तक युद्ध देखना चाहते हैं, कृष्ण ने उनकी बात मान ली और फाल्गुन द्वादशी को शीश का दान दे दिया. भगवान ने बर्बरीक का शीश अमृत से सींचकर सबसे ऊंची जगह पर रख दिया ताकि वे महाभारत युद्ध देख सकें. बताया जाता है कि उनका सिर युद्धभूमि के पास ही एक पहाड़ी पर रख दिया गया, जहां से बर्बरीक पूरे युद्ध को देखते रहे.



Source link

कोई जवाब दें

Please enter your comment!
Please enter your name here