दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बजोस और एशिया के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी के बीच किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप को खरीदने को लेकर जंग जारी है। सिंगापुर की आपातकालीन मध्यस्थता (ईए) अदालत से लेकर दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच फंसी रिलायंस-फ्यूचर डील पर न केवल दुनियाभर के बिजनेसमैनों की निगाहें टिकी हुई हैं बल्कि 24,713 करोड़ रुपये की यह डील रिलायंस और अमेजन रिटेल बाजार पर कब्जा करने के सपने को पूरा करने की बड़ी कड़ी है। रिलायंस के पास पैसा है और प्रभाव है, लेकिन ई-कॉमर्स के व्यवसाय में महारथ हासिल नहीं है। वहीं अमेजन के पास पैसा भी है प्रभाव भी है और ई-कॉमर्स बाजार पर एकछत्र राज भी है।
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अमेजन के फाउंडर और सीईओ जेफ बेजोस के पास 178 अरब डॉलर की संपत्ति है। वहीं, रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी के पास करीब 90 अरब डॉलर की संपत्ति है। ऐसे में दोनों के पार भारत जैसे विशाल रिटेल बाजार पर कब्जा जमाने के लिए दौलत की कोई कमी नहीं है। रिलायंस जियो मार्ट के जरिये देशभर के खुदारा कारोबारियों को अपने साथ जोड़ रहा है तो अमेजन अपने ई-कॉमर्स पोर्टल के जरिये देशभर के खुदरा ब्रिकेताओं को तेजी से अपने साथ जोड़ रहा है। सभी को बेहतर प्लेटफॉर्म देकर देशभर के छोटे से छोटे पिन कोड पर डिलेवरी मुहैया करा रहा है।
सोमवार को कोर्ट में क्या हुआ
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस सौदे के साथ कदम आगे बढ़ाने से रोकने के एकल न्यायधीश के फैसले को स्थगित कर दिया। रिलायंस के साथ एफआरएल के इस सौदे को लेकर अमेरिका की ई- वाणिज्य कंपनी अमेजन ने एतराज जताया था। दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की एक खंड पीठ ने फ्यूचर समूह की अपील पर सुनवाई करते हुए एकल न्यायधीश के 18 मार्च के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही अमेजन को नोटिस भी जारी किया है।
खंड पीठ ने एकल न्यायधीश द्वारा फ्यूचर समूह के किशार बियाणी और अन्य की संपत्ति को कुर्क करने और 28 अप्रैल को अदालत में हाजिर होने के निर्देश को भी स्थगित कर दिया। पीठ ने फ्यूचर समूह और उसके निदेशकों को 20 लाख रुपये लागत के तौर पर प्रधानमंत्री राहत कोष में दो सप्ताह के भीतर जमा कराने के निर्देश पर भी रोक लगा दी। यह धन दिल्ली में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) वर्ग के वरिष्ठ नागिरकों को कोविड- 19 का टीका लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था।
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एकल न्यायधीश का फैसला अमेजन की उस याचिका पर आया था, जिसमें उसने सिंगापुर आपातकालीन मध्यस्थता अदालत के 25 अक्टूबर 2020 को दिए गए निर्णय को लागू कराने के लिए अदालत से गुहार लगाई थी साथ ही फ्यूचर रिटले को रिलायंस रिटेल के साथ हुई सौदे पर आगे बढ़ने से रोकने का निर्देश देने की भी अदालत से अपील की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उच्च न्यायालय में फ्यूचर समूह की ओर से पेश होते हुये एकल न्यायधीश द्वारा 18 मार्च को दिए गए सभी आदेशों को स्थगित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे पहले खंड पीठ ने एकल न्यायधीश के पहले के आदेशों पर भी अंतरिम रोक लगाई थी और उच्चतम न्यायालय में भी इसे नहीं रोका गया था। उच्चतम न्यायालय भी मामले को देख रहा है।
साल्वे ने दलील दी कि एकल न्यायधीश को ऐसा आदेश नहीं देना चाहिये था क्योंकि उच्चतम न्यायालय भी मामले में सुनवाई कर रहा है और उच्च न्यायालय की खंड पीठ पहले ही मामले को देख रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने अमेजन की ओर से पेश होते हुये कहा कि यह एकल न्यायधीश के आदेश को शीर्ष न्यायालय के संज्ञान में लाना उचित था।
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