लंदन: ब्रिटेन के सांसदों ने गुरुवार को एक संसदीय प्रस्ताव पारित किया है. उसमें घोषणा की गई है कि चीन की नीतियां उसके पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में रहने वाली अल्पसंख्यक उइगर आबादी के खिलाफ हैं. प्रस्ताव में इन नीतियों को नरसंहार के समान और मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया गया है. हालांकि, यह प्रस्ताव ब्रिटिश सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है. इस प्रस्ताव के बाद एक बार फिर यह संकेत मिले हैं कि ब्रिटेन के राजनेताओं के बीच चीन के कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर रोष है.
चीन में उइगर आबादी के उत्पीड़न को ब्रिटेन ने माना नरसंहार के समान
कंजरवेटिव सांसद नुस घानी ने यह प्रस्ताव पेश किया था. वह भी उन पांच ब्रिटिश सांसदों में शामिल हैं, जिन्हें चीन ने उइगर के साथ उसके बर्ताव की आलोचना को लेकर हाल ही में प्रतिबंधित किया था. गौरतलब है कि उइगर अल्पसंख्यकों के खिलाफ कथित मानवाधिकार उल्लंघन का मामला इससे पहले भी मार्च में उठ चुका है. ब्रिटेन की कार्रवाई के विरोध में चीन ने भी पलटवार किया. चीनी अधिकारियों पर ब्रिटिश सरकार ने पाबंदियां लगाई, तो बदले में बीजिंग ने ब्रिटिश नेताओं और संगठनों पर पाबंदी लगा दी.
ब्रिटिश सांसदों ने नरसंहार का आरोप लगाने वाला प्रस्ताव पारित किया
ब्रिटेन के कई नेता, सांसद और नागरिक चीन के विदेश मंत्रालय की प्रतिबंधित सूची में हैं. प्रतिबंधित सूची में शामिल सभी नेता चीन पर अंतर-संसदीय गठबंधन के सदस्य हैं. चीन की कार्रवाई पर टिप्पणी देते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने नेताओं की भूमिका को सराहा था. उन्होंने कहा था कि उत्पीड़न के विरोध में आवाज उठाने की स्वतंत्रता मौलिक है और मैं पुरजोर तरीके से उनके साथ खड़ा हूं.
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