ब्रिटिश सरकार के सलाहकार वैज्ञानिक ने सोमवार को सावधान किया है कि ब्रिटेन कोरोना वायरस की तीसरी लहर के शुरुआती चरणों में हो सकता है. शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रवि गुप्ता ने कहा कि हालांकि नए मामले ‘तुलनात्मक रूप से कम’ हैं, लेकिन भारतीय वेरिएन्ट ने ‘बेतहाशा वृद्धि’ को बढ़ावा दिया है. उन्होंने ये चेतावनी देश में सामने आए कोरोना संक्रमण के अन्य 3,383 मामलों के बीच दी.
कोरोना वायरस की तीसरी लहर में ब्रिटेन के होने का शक
उन्होंने बीबीसी को बताया, "निश्चित रूप से इस वक्त मामलों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम हैं, सभी लहरें कम नबरों के साथ शुरू होती हैं जो बाद में विस्फोटक हो जाती हैं, इसलिए अहम बात ये है कि हम जो कुछ देख रहे हैं, ये शुरुआती लहर के संकेत हैं." हालांकि, ब्रिटेन में टीकाकरण की बढ़ोतरी का मतलब है इस लहर को पहली लहरों के मुकाबले शायद आने में लंबा समय लगे. गुप्ता ने कहा कि कुछ वक्त के लिए सुरक्षा का झूठा एहसास हो सकता है, और यही हमारी चिंता है. लिहाजा, 21 जून को इंग्लैंड में कोविड पाबदियों को खत्म करने का मंसूबा स्थगित किया जाना चाहिए.
21 जून को उठाई जानेवाली पाबंदियों पर मंडराया खतरा
उन्होंने कहा, "अगर आप गलत होने की लागत और लाभ को देखें, तो मैं समझता हूं कि ये देरी के पक्ष में है, इसलिए मैं उसे बुनियादी बात मानता हूं." सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ब्रिटेन में कोविड-19 से अन्य 3,383 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, जिससे संक्रमण की कुल मामलों का आंकड़ा बढ़कर 4,487,339 हो गया. देश में कोरोना वायरस की वजह से अन्य मौत भी हुई है. संक्रमण से मरनेवालों की कुल संख्या ब्रिटेन में अब 127,782 है.
इन आंकड़ों में सिर्फ लोगों की उस मौत को शामिल किया गया है जो पहली बार पॉजिटिव होने की पुष्टि के 28 दिनों में मरे. रवि गुप्ता ने बताया कि तीन चौथाई मामले भारत में पाए गए कोविड-19 वेरिएन्ट से थी. इंग्लैंड में 17 मई से पब, बार, रेस्टोरेंट को इंडोर खोलने की अनुमति दी गई, जबकि बच्चों के प्लेग्राउंड, म्यूजियम और सिनेमा समेत इंडोर मनोरंजन की दोबारा शुरुआत हुई. ग्रीन लिस्ट वाले देशों की यात्रा करने पर भी छूट मिल गई और वापसी पर क्वारंटीन की शर्तों को भी हटा दिया गया.
समझा जाता है कि लॉकडाउन में मंसूबाबंद ढील देने पर अंतिम फैसला 14 जून तक नहीं किया जाएगा. विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि आने वाले वर्षों में कोरोना वायरस का विकास देखने को मिल सकता है, और अंत में हो सकता है वर्तमान वैक्सीन संक्रमण, ट्रांसमिशन के खिलाफ और यहां तक कि नए वेरिएन्ट्स से होनेवाली बीमारी के खिलाफ सुरक्षा करने में विफल रहे.
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