भारत में अगले हफ्ते से मिलेगी Sputnik V वैक्सीन, जुलाई से देश में ही शुरू होगा उत्पादन

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक (Sputnik V) की बिक्री भारत में अगले हफ्ते से शुरू हो जाएगी। जुलाई से देश में ही इस वैक्सीन का उत्पादन भी शुरु हो जाएगा। हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज भारत में वैक्सीन का निर्माण करेगी। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। बता दें कि रूस की स्पुतनिक-वी को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी देने वाला भारत 60वां देश है।

स्पुतनिक वी को पिछले साल 11 अगस्त में रूस में अप्रूवल मिला था। इसके बाद भारत में भी इसको अनुमति मिल गई। साइंस जर्नल ‘द लैंसेंट’ में प्रकाशित आख़िरी चरण के ट्रायल के नतीजों के अनुसार स्पुतनिक V कोविड-19 के ख़िलाफ़ क़रीब 92 फ़ीसद मामलों में सुरक्षा देता है। रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) ने भारत में स्पुतनिक वी की 750 मिलियन खुराक का उत्पादन करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

स्पुतनिक-वी एक वायरल वेक्टर्ड वैक्सीन है। इसे विकसित करने के लिए सर्दी का कारण बनने वाले वायरस का उपयोग किया गया है। इस वायरस का उपयोग कोरोना वायरस के छोटे अंश को शरीर में डालने के लिए वाहक के रूप में किया गया है। और इसमें ऐसे बदलाव किए गए हैं कि शरीर में जाने के बाद वह लोगों को नुक़सान न पहुंचा सके।

कोरोना के जेनेटिक कोड का एक अंश जब शरीर में जाता है तो इम्यून सिस्टम बिना शरीर को बीमार किए इस ख़तरे को पहचानकर उससे लड़ना सीख जाता है। टीका लगाने के बाद शरीर कोरोना वायरस के अनुरूप एंटीबॉडी का उत्पादन करना शुरू कर देता है। इसका अर्थ यह हुआ कि टीके के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम वास्तव में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।

इस वैक्सीन की ख़ासियत है कि इसे दो से आठ डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। इस वजह से इस वैक्सीन का भंडारण और ढुलाई करना आसान है। कोरोना की दूसरी वैक्सीन से इतर स्पुतनिक V पहली और दूसरी ख़ुराक के लिए टीके के दो अलग-अलग संस्करण का उपयोग करता है। इसके पीछे तर्क यह है कि दो अलग-अलग वेक्टर के उपयोग से शरीर का इम्यून सिस्टम तब की तुलना में ज़्यादा मज़बूत होगा जब शरीर में एक ही वेक्टर दो बार जाए। इस वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक पहली के 21 दिन बाद लगाई जाती है।

देश में फिलहाल एस्ट्रेजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की निर्मित कोविशील्ड और भारत बायोटेक को कोवैक्सिन का उपयोग किया जा रहा है। अगले हफ्ते से अब तीसरी वैक्सीन भी लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। पिछले कई दिनों से देश के कई राज्य वैक्सीन की कमी की शिकायत कर रहे हैं। वैक्सीन की कमी के चलते टीकाकरण के कई केंद्रों को बंद भी करना पड़ा है। ऐसे में तीसरी वैक्सीन के आने से टीकारण की रफ्तार तेज होने की उम्मीद है।

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